सायरा(Udaipur)- क्षेत्र के उमरणा में चल रहे जैन चातुर्मास के दौरान रविवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की संतो की निश्रा में उपाध्याय पुष्कर मुनि की 115 वी जन्म जयंती,राष्ट्रसंत गणेश मुनि की 79 वी दीक्षा जयंती एवं जिनेन्द्र मुनि की 62 वी दीक्षा जयंती का आयोजन आयोजित किया गया।उदयपुर विहार समिति के सदस्यों ने उपस्थिति दर्ज कराई। अनेक शहरों से श्रावक श्राविकाओं का आगमन हुआ। जिनेन्द्र मुनि की दीक्षा जयंती पर संतो ने अपने भावों के माध्यम से शुभकामनाएं प्रेषित कर लम्बी आयु की कामना की गई।
प्रवीण मुनि ने कहा कि पुष्कर मुनि साधना के शिखर पुरुष थे। उपाध्याय पुष्कर मुनि का व्यक्तित्व फूलो के गुलदस्ते की भांति विभिन्न सद्गुणों के सौरभ से सुरक्षित था । वे उच्च कोटि के विद्वान थे दूसरी और सफल साधक थे। ज्ञान की साधना की महिमा से व्यक्तित्व के दोनों छोर कसे हुए थे।
रितेश मुनि ने कहा उपाध्याय के जीवन मे विनम्रता रची बसी हुई थी। उपाध्याय ज्ञान के महासागर थे। साधना के शिखर तक पहुंचे हुए थे।किंतु इतना सब होते हुए भी अहंकार उनके समीप कभी नही आ सका।समय के पाबंद थे। जिनेन्द्र मुनि राष्ट्र संत गणेश मुनि के सुशिष्य थे। चातुर्मास में लोग गणेश मुनि के प्रवचनों से प्रभावित और लाभान्वित हुए। गणेश मुनि के प्रवचनों में लोक जीवन की उदात्तता,जीने की कला और मानवता की महक है तो आत्मा का श्रृंगार तत्व की उपादेयता और जन्म मरण को समझने का दिशाबोध भी था। उपाध्याय पुष्कर मुनि एवं जिनेन्द्र मुनि ग्वाले थे। उपाध्याय पुष्कर मुनि एवं जिनेन्द्र मुनि का जीवन सामान्य व्यक्ति की भांति तल से प्रारंभ होकर एक आलौकिक पुरुष के रुप में शिखर आरोहण का जीवंत उदाहरण सबके समक्ष है।अलौकिक संस्कार छुपे हुए होते है,अमित उज्ज्वल संभावनाओं की ज्योति पल्लवित होती हैं। भारत के प्रथम राष्ट्रपति ड्रॉ राजेन्द्र प्रसाद, देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू मोरार जी देसाई,गुरुदेव राजश्री टंडन कुशल राजनीतिज्ञ सुखाडिया बाबू जगजीवन राम राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह एवं उदयपुर महाराणा महेंद्र सिंह तथा गुलाब सिंह शक्तावत आदि महानुभावों ने आप श्री का दर्शन कर उपाध्याय के स्नेह और सोजन्यपूर्ण व्यवहार से प्रभावित हुए। जिनेन्द्र मुनि ने समय समय पर दिये प्रवचन को संकलित किया।संतो की वाणी से समाज अभिभूत है। संत रत्न उपाध्याय पुष्कर मुनि राष्ट्र संत गणेश मुनि मसा ने महान जीवन को धारण करके समाज का बहुत बड़ा उपकार किया है। उन्होंने एकता का आंदोलन चलाया।आज महाश्रमण जिनेन्द्र मुनि एकता और एक सूत्र में पिरोए रखे हुए है। प्रभात मुनि ने दीक्षा जयंती पर जिनेन्द्र मुनि की दीर्घायु की कामना की गई।इस अवसर पर उदयपुर से श्रावको का आगमन हुआ। गुरुदेव जिनेन्द्र मुनि की 62 वी दीक्षा जयंती पर 62 इनाम वितरित किये। जिसमे कूपन खोलकर पारितोषिक दिया गया।इस बीच प्रभावना वितरित की गई। सभा को उमरणा गौशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा ने संचालन किया । स्थानीय सेहरा प्रान्त से अनेक श्रावक श्राविकाएं उपस्थित हुए। हिम्मत भोगर,सुरेश तलेसरा मांगी लाल वास महावीर घटावत गोपाल लोढ़ा नाना लाल सुथार कांति लाल मांडोत आदि अनेक महानुभाव उपस्थित रहें।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।