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सुख की चाह के लिए तप की साधना अनिवार्य हैं – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Sayra)/ श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में पर्युषण पर्व में जिनेन्द्र मुनि के मुखारविंद से आगम वाणी का विवेचन हो रहा हैं। संत ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को बताया कि सुख की चाहत के लिए तप आराधना जरूरी हैं।मुनि ने कहा कि माता का स्थान सर्वोपरि है।हमारे जीवन मे माता का स्थान सर्वोपरि है।माता ही बच्चे की प्रथम गुरु होती है जीवन मे हर प्रकार की बाधाओं को पार करने की प्रेरणा देती है।संत ने कहा पर्युषण पर्व धार्मिक भावनाओं को जागृत करने वाला पर्व है।प्रवीण मुनि ने जैन धर्म मे वर्णित चौथे आरे के बारे में बताते हुए कहा कि आने वाला समय अधिक कठिन समय होगा। मुनि ने कहा कि आत्मा के कल्याण के लिए कठिन पुरुषार्थ करना होगा।जीवन मे आत्म सुख को पाने के लिए आत्म कल्याण का विचार करना पड़ेगा।रितेश मुनि ने कहा कि बच्चों के विकास में माता की भूमिका सर्वोपरि है। माता समाज और परिवार की आदर्श निर्माता हैं। नारी की महिमा बताते हुए मुनि ने कहा की माता कुमाता नही होती हैं। लेकिन अपवाद को छोड़कर कुछ माता अपने गरिमामय पद पर कीचड़ उंडेल रही हैं। यह आदर्श माता की गरिमामय उपलब्धि नही है।प्रभातमुनि ने कहा जो त्याग करता है वह तप की श्रेणी में आता है । तप करने वाला ही तपस्वी कहलाता है मुनि ने कहा जप ने आगे बढोगे तो तप की महिमा होगी। संत ने कहा आठ दिवस महत्वपूर्ण हैं । हमे तप प्रतिदिन करना हैं । आत्मा में लगे कर्मो को तपा दे ,वह तप की श्रेणी में आता हैं। मुनि ने कहा पाप की अनुमोदन नही करे,तप में बड़ी ताकत हैं। स्वाध्याय जितना अधिक करोगे ,दुनिया मे पाप से उतना ही दूर रहोगे।पर्युषण पर्व में अन्य राज्य से लोगो का आवागमन हुआ। रेलमगरा के श्रावको ने संतो के दर्शन किये। जिनेन्द्र मुनि के दर्शन लाभ लेने वाले कमोल निवासी कस्तूरचंद सोलंकी को राजस्थान सरकार ने भामाशाह की उपाधि दी हैं। सभागार में कस्तूरचंद सोलंकी को समाज और संत समाज की तरफ से महादानी कर्ण की उपाधि देते हुए संघ की तरफ से माला पहनाकर स्वागत किया गया। श्री महावीर जैन गौशाला के अध्यक्ष हीरा लाल मादरेचा और उपाध्यक्ष अशोक कुमार मादरेचा ने अतिथियों का स्वागत किया।इस दौरान कस्तूरचंद सोलंकी, गोपाल सेठ , प्रकाश लौढा वच्छराज घटावत , सोहनलाल मांडोत, कुंदनमल चौरड़िया उपस्थित रहे। गाय को मीठा भोजन अर्पण करने वाले कुंदनमल चौरड़िया का सम्मान किया गया।तपस्वियों को प्रत्याख्यान करवाया गया। स्थानक भवन में जप शुरू किए गए है। वहीं कस्तूरचंद सोलंकी को जिनेन्द्र मुनि ने दानवीर कर्ण की उपाधि दी गई।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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