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सरकार ने हाशिए पर जी रहे समुदायों एवं समाज के विभिन्न तबकों की मांगों को किया अनदेखा

जयपुर (Udaipur)- वित्त मंत्री दिया कुमारी ने बुधवार को विधानसभा में राज्य बजट प्रस्तुत किया। इस दौरान युवा, किसान, नौकरीपेशा, महिलाओं सहित हर वर्ग के लिए घोषणाएं की गईं।

वहीं बजट राज्य के वंचित तबके के लिए आकांक्षाओं के विपरीत नजर आया। राज्य में हाशिए पर जी रहे समुदाय एवं विभिन्न लोगों ने कई प्रकार की मांगे राज्य सरकार के सामने रखी थीं और इस बजट से उम्मीद थी कि उनको इस बजट में कुछ मिलेगा लेकिन बजट का भाषण सुनने के बाद ऐसा लगता है कि उनकी मांगों को अनदेखा किया गया हैं।

भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र में सामाजिक सुरक्षा पेंशन को ₹1500 प्रति महीना किए जाने का वादा किया गया था। उस वादे को भी पूरा नहीं करते हुए और राज्य में जो न्यूनतम गारंटीड आय कानून आया हैं । उसके अनुसार भी पेंशन में उचित बढ़ोतरी नहीं की गई है। राजस्थान राज्य में शहरी रोजगार गारंटी योजना जो कि शहरी क्षेत्र के लिए अति महत्वाकांक्षी एवं महत्वपूर्ण योजना है उसके बारे में भी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किए गए हैं। बजट में रोजगार गारंटी के लिए शहरी और ग्रामीण स्तर पर बजट की घोषणा स्पष्ट रूप से नहीं करी है इससे यह पता लगाना मुश्किल है कि मुख्यमंत्री रोजगार गारंटी योजना व शहरी रोजगार योजना का आगामी स्वरूप क्या होगा.

मजदूरों के कल्याण और विकास के लिए अलग-अलग सेक्टर में बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं किए गए हैं। हालांकि यह सुखद है कि गिग वर्कर व अनोर्गनाइज्ड सेक्टर के लिए 350 करोड रुपए की घोषणा की गई हैं।

घुमंतू वअर्ध घुमंतु समुदाय की राज्य में स्थिति पर सर्वे के लिए बजट का प्रावधान नहीं किया गया है, वन अधिकार कानून के तहत सामुदायिक पट्टों के वितरण के लिए 100 करोड़ के बजट के प्रावधान की मांग की गई थी परंतु इस बजट में उसके लिए कोई प्रावधान नहीं दिख रहे हैं। शासन में सुशासन को कायम करने के लिए सामाजिक अंकेक्षण के लिए बजट में विशेष प्रावधान की आवश्यकता थी लेकिन इसके लिए भी कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। बजट में स्वास्थ्य सेवाओं जिसमें स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सभी नागरिकों को निशुल्क लाभ देने व कानूनी स्वास्थ्य के अधिकार की पालना की कमी दिख रहीं हैँ.

सरकारी ढांचा किस प्रकार ठीक से काम करे उसके लिए जवाबदेही की व्यवस्था होना जरूरी है। राज्य में किस प्रकार गुड गवर्नेंस सुनिश्चित की जाए उसके लिए भी कोई घोषणा या प्रावधान नहीं किए गए हैं जबकि राज्य में जवाब देही कानून लाया जाना बहुत ही आवश्यक है।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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