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सत्य को साक्षी की आवश्यकता नही – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Udaipur)/ क्षेत्र के महावीर गोशाला उमरणा में चल रहे जैन चातुर्मास के दौरान बुधवार को जिनेन्द्र मुनि ने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्य ही इश्वर का दूसरा रूप हैं । सत्य बोलना कठिन हैं।उतना ही सत्य की रक्षा करना अनन्तगुणा कठिन है।कफ़न का टुकड़ा सिर पर बांध कर चलने वाला ही सत्य की रक्षा कर सकता हैं।सत्य के प्रकाश मे असत्यवादी जब बौखला जाते है तो यह सत्यवादी की सबसे बड़ी सफलता है।सत्य को साक्षी की आवश्यकता नही विश्वास से बड़ा कोई धर्म गुरु या फिर भगवान भी नहीं।किसी को दिया हुआ विश्वास बनाये रखने के लिए ईमानदारी नही बताये तो उसको धार्मिक तो क्या व्यक्ति कहलाने का भी अधिकार नही,सत्य की कभी कोई सीमा नही है,वह अनन्त हैं। मुनि ने कहा इस सम्पूर्ण का आभास केवल ज्ञानी के अलावा दूसरा कोई नही कर सकता ।वर्तमान में पूर्ण सत्य का दावा करने वाला नादान है।सत्यांश को नकारना ही पूर्ण सत्य को को ठुकराना है।जैन संत ने कहा सत्य की विजय होती है और असत्य की पराजय होती है। पूर्वाग्रह और हठाग्रह दोनों सत्य के साक्षात्कार में बाधक है।और शत्रु है।सत्य की कोई सीमा नहीं है,इसको कैद में नही कर सकते है। भगवान महावीर ने अहिंसा से बढ़कर सत्य को महामंडित किया था।सत्य के सामने कोई तप नही और आराधना भी नही,सत्य की भूमि पर ही धर्म की खेती की जा सकती है।संत ने कहा समस्त महापुरुषों ने सत्य की आराधना करके ही अपनी मंजिल प्राप्त की हैं।असत्य के अंधकार से बढ़कर कोई जहर नही,भौतिक जहर से विचलित हो सकते है।मुनि ने सत्य की ही महिमा बताते हुए कहा अतीत हमारे सामने है महाभारत के समय कौरवों और पांडवों का घमासान हुआ । सत्य की असत्य पर विजय आज हजारों वर्ष बीत जाने पर भी हम नही भूल पाये है।सत्य अपने आप मे कोहिनूर हीरा के समान है। विश्वास के अभाव में जीने वाला व्यक्ति अपने जीवन के लिए भारभूत बनेगा।परम्परा की दिवालों को घसीटने वाला आकांक्षी के समान सत्य को छू भी नही सकता है। वह पाप कमा रहा है।सत्य की चिरकाल विजय होती है।रितेश मुनि ने कहा कि विश्वास को बनाए रखने के लिए सर्वस्व न्यौछावर करके भी उसकी रक्षा करता है।वो ही महामानव धरती पर साक्षात भगवान के रुप में विद्यमान है। पशु जगत में भी विश्वास निभाने के लिए आज भी कटिबद्ध नजर आते है।और हैरानी यह है कि पशु जगत तो मानव पर विश्वास करता है,परन्तु दुर्भाग्य यह है कि सर्वोत्तम श्रेष्ठ मानव कहलाने वाला वह निरीह और निर्दोष प्राणी के साथ धोखा करने में नही हिचकिता है। जहां कोई स्वार्थ नही वहां भगवान का वास होता है।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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