- लखन सालवी
आज 18 जून 2023 है। सुबह से मेरे व्हाट्सएप्प नंबर पर सड़कों पर गिरे हुए पेड़ों, बारिश के कारण ढ़हे हुए मकानों, ओवरफ्लो हुए जलाशयों व सड़कों, खेतों व राहों पर गिरे बिजली के खंभों के फोटो आ रहे थे। बाद में सड़क पर गिरे पेड़ों को हटाती जेसीबी मशीनें व खंभे खड़े करते बिजली विभाग के कर्मचारियों के फोटो आने लगे। दोपहर बाद एक फोटो आया, जिसमें देखा कि एवीवीएनल के एईएन वीरेंद्र कुमार मीणा रेनकोट पहने हुए एक खेत में खड़े है, कुछ कर्मचारी गिरे हुए बिजली के खंभे को खड़ा कर रहे है। दूसरे एक फोटो में एक जेसीबी मशीन की सूंड पर चढ़कर एवीवीएनएल का एक कर्मचारी बिजली के खंभे के तार ठीक करता हुआ दिखा। मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी और मैं व्हाट्एसप्प एकाउंट को खंगालता जा रहा था। अगले एक फोटो को डाउनलोड़ किया तो उसमें गोगुंदा-दादिया-मजावड़ी के ग्राम विकास अधिकारी सुरेंद्र कुमार नगलिया बारिश में भींगते हुए रास्ते में पड़े पेड़ की शाखा को उठाकर सड़क से दूर फैंकते हुए नजर आए। एक ग्रुप में आए फोटो को डाउनलोड़ किया तो उसमें एसडीएम हनुमान सिंह राठौड़ छाता लिए सड़क पर खड़े मिले, वे सड़क पर गिरे पेड़ को हटाने के लिए निर्देश दे रहे थे। फोटो से ही पता चला कि मजाम से बगडूंदा के बीच पेड़ गिरने से बिजली लाइन टूट गई। जेईएन गौरव मलिक टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे और लाइन को दुरूस्त कर रहे थे।
शुक्रवार शाम को शुरू हुई बारिश जारी थी, बाहर कहीं जाने का मन नहीं था। मैं अपने बेड पर लेटा व्हाट्सएप्प की दुनिया में गोते लगा था। फोटो देखते – देखते पाया कि बिपरजॉय चक्रवात के कारण आई आपदा से निपटने के लिए अधिकारी व कर्मचारी जी जान से जुटे हुए है। आमतौर पर आपदा से निपटने की जिम्मेदारी अधिकारियों व कर्मचारियों की ही होती है मतलब सरकारी तंत्र ही इसकी जिम्मेदारी उठाता है। एडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित सैनिकों को आपदा से निपटते हुए कई बाद देख चुका है लेकिन जमीनी स्तर पर बरसती बारिश में अधिकारियों व कर्मचारियों को इस प्रकार काम करते हुए पहली बार देखा। यह सोचते हुए एक ग्रुप में घुसा ही था कि देखा लोग गोगुंदा के अधिकारियों व कर्मचारियों को धन्यवाद ज्ञापित कर रहे है और उनकी सराहना कर रहे है।
तो कुल जमा, उपर लिखी बातों का सार यह है कि अगर कोई भी व्यक्ति पूर्ण ईमानदारी से अपना काम करें तो उसे देखकर लोग तारीफ करते है, सलाम करते है। और यह तीन का एपिसोड़ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोग सब पर नजर रखते है और सब के कामों को समझते है। खैर, गोगुंदा के अधिकारी-कर्मचारी वर्ग ने इस बार पूरी ताकत व ईमानदारी के साथ तूफान का सामना किया और पूरी रणनीति के साथ किया।
देखिए 15 जून 2023 को बिपरजॉय चक्रवात के गुजरात के कच्छ तट से टकराने की सूचना आम थी। सूचना यह भी थी कि कच्छ के बाद तूफानी हवाएं व बारिश गुजरात के साबरकांठा व बनासकांठा क्षेत्र से होती हुई राजस्थान में प्रवेश करेगी। मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि 16 जून को राजस्थान के सिरोही, जालोर, पाली, बाडमेर व उदयपुर जिले सहित पश्चिमी राजस्थान में तूफानी हवाएं चलेगी और अंधेड़ के साथ बारिश भी होगी। मौसम विभाग की चेतावनी को उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा ने गंभीरता से लिया और ताबड़ तोड़ बैठकें कर जिले के विभिन्न विभागों के जिला व उपखंड स्तरीय अधिकारियों को चेतावनी के बारे में बताते हुए उनकी छुट्टियां रद्द कर दी और सभी कार्मिकों व अधिकारियों को अपने-अपने मुख्यालय पर मुस्तैद रहने के निर्देश दिए। यही नहीं उन्होंने संभावित क्षेत्रों का दौरा कर अधिकारियों को आपदा से निपटने के पुख्ता बंदोबस्त करने के कड़े निर्देश दिए। जिला कलेक्टर से मिले निर्देशों के बाद सभी विभागों के अधिकारियों ने आपदा नियंत्रण को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से अपने-अपने क्षेत्रों में हेल्प नंबर शेयर किए।
गोगुंदा एसडीएम हनुमान सिंह राठौड़ ने भी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। तूफान से सबसे ज्यादा चिंता विद्युत विभाग को थी। विभाग के सहायक अभियंता ने वीरेंद्र कुमार मीणा ने सोशल मीडिया पर 5 मोबाइल नंबर जारी कर कहा कि तूफान के कारण खंभे गिर जाने, लाइन टूट जाने या बिजली सप्लाई होने की दशा पर उन नंबर पर सूचित करें।
इसके अलावा तहसील कार्यालय, एसडीएम कार्यालय, पंचायत समिति कार्यालय व पुलिस थाने में कंट्रोल रूम बनाए गए और इन कंट्रोल रूम के नंबर सोशल मीडिया व समाचार पत्रों के माध्यम से क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाये गए।
एक बात पर गौर करिएगा, जैसे ही किसी गांव के रास्ते मेंतेज हवा के कारण पेड़ गिरा तो इसकी सूचना मिलते ही कुछ ही देर में वहां जेसीबी मशीन पहुंची और पेड़ को रास्ते से हटा दिया गया। आखिर यह सब कैसे हुआ ? यह सोचने वाली बात है। दरअसल एसडीएम हनुमान सिंह राठौड़ ने 15 जून से पहले ही उपखंड क्षेत्र को कलस्टर में बांटकर कलस्टरवाइज जेसीबी मशीनों की व्यवस्था करवा दी थी। ताकि जिस भी कलस्टर में पेड़ गिरने, मकान गिरने या किसी भी कारण से मार्ग अवरूद्ध हो जाए तो उसे सुचारू किया जा सके।
ऐसा ही बिजली विभाग के एईएन वीरेंद्र कुमार मीणा ने भी किया। उन्होंने अपने जेईएन के नेतृत्व में अलग-अलग टीमें बना ली। जैसे ही कहीं से खंभा गिरने या लाइन टूटने की सूचना मिलती तो संबंधित टीम मौके पर पहुंच जाती। भरी बरसात में भी टीमों ने बिजली की लाइनों को ठीक करने का कार्य किया। जिसे क्षेत्र के लोगों ने काफी सराहा।
काम तो ग्राम विकास अधिकारियों, पटवारियों व अन्य कर्मचारियों ने भी कम नहीं किया। 100 बातों की एक बात . . . इस बार गोगुंदा के अधिकारी व कर्मचारी तूफान से टकरा गए।