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पैंथर को मारने के आदेश को निरस्त करने के लिए लगी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज

उदयपुर (Gogunda)- जिले के गोगुंदा उपखंड क्षेत्र में पिछले 15 दिनों से आदमखोर पैंथर 7 लोगों का शिकार और कहीं लोगों पर हमला कर चुका है। ऐसे में 1 अक्टूबर को बड़गांव ग्राम पंचायत के केलवो का खेडा (विजय बावड़ी) में आदमखोर पैंथर ने कमला कुंवर को शिकार बनाया था। इसके बाद राजस्थान वन विभाग ने तीन शर्तों पर पैंथर को मारने का आदेश जारी किया था। इस आदेश को निरस्त करने की दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अजॉय दुबे द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ता ने जस्टिस भूषण आर गवई, जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस प्रशांत मिश्र की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि आखिर आदमखोर तेंदुए की पहचान कैसे होगी। इस आदेश से बाघों को भी खतरा हो जाएगा। लोग बंदूकें लेकर जंगल में घूम रहे हैं जबकि कायदे से उनको ट्रैंक्यूलाइजर गन रखनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अजॉय दुबे द्वारा दायर याचिका में किसी भी किस्म की अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया। यह याचिका राजस्थान वन विभाग से एक अक्टूबर को पारित एक आदेश को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया था कि तेंदुए को बेहोश करने का प्रयास किया जाए। लेकिन वन विभाग इसमें विफल रहा तो उसे मार दिया जाएगा।

याचिकाकर्ता ने कहा कि कोर्ट अपने आदेश से सुनिश्चित करें कि तेंदुओं को मारा ना जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि आखिर आपको क्यों लगता है कि वो मारने के लिए ही बंदूक लिए घूम रहे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कहा कि आप हाइकोर्ट क्यों नहीं जाते । और बोम्बे हाइकोर्ट की एक गाइडलाइन भी है आदमखोर से निपटने के मामले में। सुप्रीम कोर्ट ने अजॉय दुबे द्वारा दायर याचिका में किसी भी किस्म की अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया ।

 

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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