उदयपुर– पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘रंगशाला’ के अंतर्गत तीन दिवसीय नाट्य प्रस्तुति के दूसरे दिन शनिवार को नाटक ‘चाक’ का मंचन शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में किया गया। कलाकारों के बेहतरीन अभिनय ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक फ़ुरकान खान ने बताया की प्रति माह आयोजित होने वाली मासिक नाट्य संध्या रंगशाला के अंतर्गत तीन दिवसीय नाट्य प्रस्तुति के दूसरे दिन शनिवार 12 अप्रेल को लिटिल थेस्पियन कोलकाता द्वारा ‘चाक’ नाटक का मंचन किया गया। 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेश बन जाने के बाद वहां आजादी के बाद भारत से जाकर बसे लोगों को केन्द्रित कर भेदभाव को मंचित किया गया और उन्हें जिस प्रकार से प्रताड़ित किया गया, उसे इस नाटक के माध्यम से बड़े ही मार्मिक रूप में दर्शाया गया। चाक नाटक विभिन्न घटनाओं पर आधारित एक छोटे से मुस्लिम परिवार की कहानी है, जो बांग्लादेश से वापस आकर भारत में बस जाते है। ‘चाक’ नाटक के लेखक एस.एम. अजहर आलम एवं निर्देशक उमा झुनझुनवाला है। कलाप्रेमियों ने इस नाटक तथा उसके पात्रों द्वारा किए गए अभिनय को सराहा। मंच परिकल्पना अद्भुत थी। संगीत मुरारी राय चौधरी तथा प्रकाश व्यवस्था जयदीप रॉय ने दी। नाटक के अन्य कलाकार सागर सेनगुप्ता, उमा झुनझुनवाला, मो. अफताब आलम, मो. आसीफ अंसारी, एनी दास, इंतखाब वॉरसी, विशाल कुमार रौत और आरिफ आलम ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम में केन्द्र के उपनिदेशक (कार्यक्रम) पवन अमरावत, सहायक निदेशक (वित्तीय एवं लेखा) दुर्गेश चांदवानी, सी.एल. सालवी, सिद्धांत भटनागर सहित शहर के कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। इस कार्यक्रम का संचालन केन्द्र के सहायक निदेशक (वित्तीय एवं लेखा) दुर्गेश चांदवानी ने किया।
नाटक के बारे में
स्व. एस.एम. अजहर आलम द्वारा लिखा गया यह अंतिम नाटक है। यह नाटक सन् 1971 में पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के दौरान भारतीय मुसलमानों द्वारा सामना की गई विभिन्न चुनौतियों और मुद्दों के बारे में है। यह नाटक एक ऐसे मुस्लिम परिवार के संघर्षों को प्रदर्शित करने वाला एक सराहनीय प्रयास है, जहाँ गफ्फूर खान (पिता) अपनी विरासत में मिली पारिवारिक संपत्ति के लिए अंतहीन अदालती मुकदमों में उलझा हुआ है और अरशद (बीच का बच्चा/बेटा) अलग-अलग तरह की झुंझलाहट, दुख और चिंता के साथ भावनाओं का एक कैनवास दिखा रहा है। ज़ोहरा (माँ), माजिद (सबसे बड़ा बेटा), और रजिया (सबसे छोटी बेटी/बेटी) के अपने-अपने दुख और तकलीफ़ें हैं।

Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।