उदयपुर (Udaipur)-राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल (एनएमइओ) योजानान्तर्गत सोमवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में खेरवाड़ा, मावली, झाड़ोल, फलासिया और नयागांव पंचायत समितियों के चयनित सौ किसानों ने भाग लिया।
एमपीयूएटी के निदेशक अनुसंधान के नवीन सभा कक्ष में आयोजित कार्यशाला में किसानों को तिलहन उत्पादन बढ़ाने और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता संबंधी महत्वपूर्ण गुरू सिखाए गए। एमपीयूएटी के पादप रोग वैज्ञानिक डॉ. आर.एस. रत्नू ने तेल वाली फसलों यथा तिल, मूँगफली, सोयाबीन, अरण्डी, सूरजमुखी, सरसों, अलसी, कुसुम आदि में लगने वाली बीमारियों और उनके निदान के बारे में बताया ताकि तिलहन की खेती करने वाले किसान समय रहते नुकसान से बच सके। कीट वैज्ञानिक डॉ. आर. स्वामीनाथन ने तिलहन फसलों में लगने वाले प्रमुख कीट और उनका निदान, मित्र कीट की पहचान और मह्ता, फसल चक्र अपनाने के फायदे आदि के बारे में सचित्र विस्तार पूर्वक बताया। पादप व आनुवंशिक विभाग के डॉ. पी.बी. सिंह, अनुसंधान निदेशक डॉ. अरविन्द वर्मा और डॉ. अभय दशोरा ने मूगंफली की उन्नत किस्मों व खरपतार नियंत्रण के बारे में बताया। आरंभ में संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) सुधीर कुमार वर्मा ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तिलहन उत्पादन मिशन अंतर्गत 2030-31 तक केन्द्र ने 10 हजार 800 करोड़ रूपये की मंजूरी दी है। इसमें 20 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी। कार्यक्रम में अतिरिक्त निदेशक कृषि निरंजन सिंह राठौड़, सहायक निदेशक श्याम लाल सालवी, उप निदेशक ख्याली लाल खटीक, मिताली राठौड़, डी.पी. सिंह आदि ने भी विचार रखे।

Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।