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पतंगबाजी में नायलॉन या सिंथेटिक सामग्री से बने मांझे के उपयोग पर प्रतिबंध

उदयपुर (Udaipur) – पतंग उड़ाने के दौरान उपयोग में लिए जाने वाले अत्यधिक धारदार, नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने मांझों एवं उन पर लोहे अथवा कांच के पाउडर की प्लास्टिक कोटिंग से आमजन एवं पशु-पक्षियों को हानि पहुंचने व कई बार जनहानि होने की सम्भावना को दृष्टिगत रखते हुए पशु-पक्षियों व आम नागरिकों की जान-माल की सुरक्षा के लिए ऐसी सामग्री से निर्मित मांझों के उपयोग व बिक्री को प्रतिबंधित किया गया है।

जिला मजिस्ट्रेट अरविन्द पोसवाल ने बुधवार को एक आदेश जारी कर पुलिस अधीक्षक, सभी उपखंड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार तथा संयुक्त निदेशक पशुपालन को प्रतिबंधों को प्रभावी ढंग से लागू किए जाने के निर्देश दिए हैं। आदेश में बताया कि इन मांझों से पक्षियों के घायल होने, अंग भंग होने के अलावा मृत्यु तक की घटनाएं होना संभव हैं। माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी), प्रधान पीठ, नई दिल्ली ने ओ.ए. संख्या 384/2016 खालिद अशरफ बनाम युनियन ऑफ इण्डिया में जारी आदेश दिनांक 11. 07.2017 में निर्देश दिया गया है कि “पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और/या सिंथेटिक पदार्थ से लेपित और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध होगा। इसी प्रकार केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड के आदेश में समस्त राज्यों को पतंगबाजी के लिए उपयोग किए जाने वाले चायनीज मांझे/ नायलॉन / सिंथेटिक सामग्री / कांच लेपित धागे के निर्माण, बिक्री, भंडारण, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किये गये हैं। आदेश में कहा कि माननीय राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों की अनुपालना में नायलॉन या किसी सिंथेटिक सामग्री से बने और/या सिंथेटिक पदार्थ से लेपित, चायनीज और गैर-बायोडिग्रेडेबल मांझे या धागे पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने व प्रतिबन्ध की पूर्ण अनुपालना सुनिश्चित करावें। इस प्रकार के मांझे के निर्माण, भंडारण, विक्रय और उपयोग पर भी तत्काल रोक लगाई जाए। उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम 1960, भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 एवं अन्य संबन्धित वैधानिक प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जाएगी।

पक्षी चिकित्सा शिविर लगाने के निर्देश

जिला मजिस्ट्रेट ने संयुक्त निदेशक पशुपालन को घायल पक्षियों के बचाव हेतु विशेष प्रबंध करवाते हुए उनके इलाज के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं एवं पक्षी प्रेमियों के सहयोग से पक्षी चिकित्सा शिविर लगाने के लिए निर्देश दिए। ताकि घायल पक्षियों का समय पर उपचार किया जा सके। इसक लिए उन्होंने हेल्पलाइन नंबर जारी करने के भी निर्देश दिए।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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