Breaking News

Home » धार्मिक Religious » दिशाहीनता से बढ़ता हैं जीवन मे तनाव – जिनेन्द्र मुनि

दिशाहीनता से बढ़ता हैं जीवन मे तनाव – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Udaipur) – उमरणा में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में आयोजित धर्मसभा में जिनेन्द्र मुनि ने अपने उद्बोधन में कहा कि तनावों से ग्रस्त आज का मानव दिगमूढ़ सा हो रहा हैं, तनावों से मुक्त होने के लिए अक्सर वह जो भी उपाय करता हैं उसे लाभ के स्थान पर हानि ही अधिक मिलती हैं।बेचैनी जीवन के सहचर बन गये हैं। निराशा और भय उसके चारों और फैले हुए हैं, कोई समाधान नही मिल रहा हैं। मानव ने अपने को पारस्परिक असंगत विषयों में इतना अधिक उलझा दिया हैं कि वह उन उलझनों को संभाल नही पा रहा हैं। शिक्षा हीनता का यहीं परिणाम आता हैं। आज युवक जब जीवन के वास्तविक धरातल पर कदम बढ़ाता हैं तों वह यह निश्चित नही कर पाता कि इसे कहा जाना हैं, कहा पहुंचना हैं,कब पहुंचना हैं और कैसे पहुंचना हैं। इन गहराईयों को छूने के स्थान पर वह अपनें चारों तरफ फैली रंगीनियों की और आकर्षित होने लगता हैं। साथ ही अपने आपके लिए भी वैसी रंगीनियों की कामना करता हुआ भ्रमित रूप से आगे बढ़ता हैं। वह उसी के मधुर सपने बुनता हुआ कार्य क्षेत्र में उतरता हैं। अपनी पहुंच शक्ति और साधनों से अनजाना, लालसा की लपटों में जलता हुआ जो करने के लिए बढ़ता हैं। वह कितना अनुचित कितना उचित सोच नही पाता। वह केवल छटपटाता हैं ।

जैन मुनि ने कहा सम्पूर्ण भौतिकता को अपने लिए खींच लेने को फलस्वरूप समस्याएं बढ़ती रहती हैं। उलझनों का अंबार लगता रहता हैं और अंत मे मिलता है मानसिक तनाव। तनावों से मुक्त होने के लिए अपनी कार्य शैली को बदलना होगा। अपने साधनों अपनी योग्यता और अपने सामर्थ्य का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक हैं।

महाश्रमण ने कहा अन्य व्यक्तियों के प्राप्त साधनों से प्रतिस्पर्धा करना और स्वयं को भौतिकता की अंधी दौड़ में सम्मिलित करना एक मूर्खता हैं। ऐसी मूर्खताओं को छोड़कर अपने धरातल पर चिंतन होना चाहिए। अपने शक्ति सामर्थ्य और साधनों के आधार पर अपनी दिशा का निर्धारण होना चाहिए।

रितेश मुनि ने कहा आज जन-जीवन में चरित्र निर्माण के उपर्युक्त तत्व क्षीण हो रहे हैं तो इसके दो कारण हैं पहला कारण तो यह है कि धर्म को साधना तक सीमित कर देखा जाता है तो यह तत्व आगे कैसे बढ़ेंगे। दूसरा कारण हैं अनास्था , धर्म के प्रति मानव मन मे जो आस्था का सम्बल चाहिए वह टूट रहा हैं।

प्रभात मुनि ने कहा आज धर्म को प्रचलित साम्प्रदायिक व्याख्याओं के स्थान पर चरित्र निर्माण के उपयोगी तत्व में समझना आवश्यक हैं।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Realted News

Latest News

राशिफल

Live Cricket

[democracy id="1"]