उदयपुर (Udaipur)- शहर के ख्यातिप्राप्त वास्तुविद सुनील लड्ढा ने कहा है कि मेवाड़ में सर्वाधिक वास्तुग्रंथ लिखे गए और इन ग्रंथों को लिखने का श्रेय सूत्रधार मंडन को है। उनके द्वारा रचित रचित ग्रंथ देश और विदेश के ग्रंथ भंडारों में उपलब्ध है। लड्ढा ने यह विचार सोमवार को विश्व वास्तुकला दिवस के मौके पर सापेटिया के वर्कस्पेस डिज़ाइन स्टूडियो में आयोजित एक विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होंने मेवाड़ में वास्तु की समृद्ध परंपरा और मंडन सूत्रधार के योगदान की जानकारी दी और कहा कि समरांगण सूत्रधार, अपराजित पृच्छा, राज वल्लभ वास्तु शास्त्रम, विश्वकर्मा वास्तु शास्त्रम का अनुवाद व संपादन उदयपुर में ही हुआ। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में मेवाड़ के विद्वानों का पुन: इनकी ओर ध्यान गया। मेवाड़ा सूत्रधारों में वशिष्ट गोत्र के प्रो. भंवर शर्मा और सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. कृष्ण जुगनू ने मंडन सहित अन्य सूत्रधारों के ग्रंथों का हिंदी-अंग्रेजी में अनुवाद व संपादन किया।
विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए रजत मेघनानी और शिल्पकार हेमंत जोशी ने हर घर और परिवार की समृद्धि का आधार वास्तु को बताया। मेघनानी ने कहा कि कुंभलगढ़ का किला वास्तुकला का अभूतपूर्व उदाहरण है और मंडन सूत्रधार की वास्तु शास्त्र और वास्तु सिद्धांतों पर सिद्ध हस्तता को हिंदुस्तान की वैश्विक उपलब्धि बताया।
इस मौके पर वास्तुकार विवेक राज, प्रियंका कोठारी, भावेश पुरोहित, जीनल जैन, दर्शन आसवत, फाल्गुन व्यास, तनुजा कटारिया, नीलोफर मुनीर, निहारिका जैन, हर्षित जैन, ज्योति पंवार, जुगल जोशी आदि ने भी विचार व्यक्त किये।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।