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अहिंसा जीवन की महक हैं, अहिंसा में अपूर्वता हैं – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Sayra)/ क्षेत्र के महावीर गोशाला उमरणा में चल रहे जैन चातुर्मास में बुधवार को आयोजित सभा मे जिनेन्द्र मुनि ने अहिंसा का महत्व बताया और कहा कि अहिंसा असंदिग्ध हैं ।अहिंसा को अपनाने में जीवन मे समग्रता आती हैं और उसमें दिव्यता का समावेश होता है।अहिंसा जीवन की महक है।अहिंसा में अपूर्वता है।अंश अंश अहिंसा की सम्पत्ति से एक समय सम्पूर्णता की स्थिति आ जाती है यह निर्विवाद सत्य है कि धर्म के बिना जीवन व्यर्थ है और सबसे बड़ी बात यह हैं कि यदि अहिंसा नही है तो धर्म भी नही है।दूसरे शब्दों में धर्म का अस्तित्व अहिंसा में टिका है।अहिंसा जीवन जगत का प्राणतत्व हैं। मुनि ने कहा कि अहिंसा के अभाव में जीवन और जगत की कल्पना ही नही की जा सकती हैं।अहिंसा नही तो समाज मानव और मानवता का सारा तंत्र ही गड़बड़ा जाता है, जो अहिंसा से जुड़ा हैं ,वह धर्म को पा लेता है।भगवान महावीर ने उसी धर्म को धर्म कहा है,जिसमे अहिंसा संयम और तप का समावेश है।अहिंसा है तो संयम और तप भी हैं। यदि अहिंसा नही है तो संयम और तप की साधना आराधना संभव नही हैं। साधु के पांच महाव्रत में प्रथम महाव्रत अहिंसा का हैं । मुनि ने दुःख मन से कहा विश्वभर में आज जो स्थितियां निर्मित हुई है,वे मूल-भाव की उपेक्षा के कारण है।आज जिस तरह हिंसा को गौरव दिया जा रहा है।वह हमारी संस्कृति पर कट्टर घात है। जो यह मान रहे है कि विश्व की समस्या का निदान ही हिंसा में है,वे भूल कर रहे हैं।खून का सना कपड़ा कभी खून से साफ नही हो सकता।

धर्म के प्रति अश्रद्धा के बढ़ते जा रहे हैं भाव – प्रवीण मुनि

आयोजित सभा के दौरान मुनि ने कहा धर्म के प्रति अश्रद्धा के भाव बढ़ते जा रहे हैं। इंसान ने भौतिक क्षेत्र में बहुत प्रगति की है,लेकिन अध्यात्म के अभाव में भौतिक प्रगति के मन मे भय की अत्यधिक वृद्धि करके मानव जीवन को नरक बना दिया हैं ।

वर्तमान में चारो और ईर्ष्या का अभाव हैं – रितेश मुनि

मुनि ने बताया कि आज चारों और ईर्ष्या का अभाव हैं । मनुष्य को मनुष्य पर ही विश्वास नही हैं। धर्म के नाम पर ईर्ष्या द्वेष और कलह का वातावरण बनाया जा रहा हैं। धर्म मे इन बातों का कोई भी स्थान नही हैं।

संसार मे सभी को जीने का अधिकार हैं – प्रभात मुनि

मुनि कहते हैं कि इस संसार मे सभी को जीने का अधिकार हैं।आज का इंसान कल का स्मरण करके वर्तमान को बनाने की चेष्टा करेगा?भूल पर भूल करना मनुष्य को शोभा नही देता हैं । संतो के दर्शन के लिए सूरत से श्रद्धालुओं का आगमन हुआ हैं।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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