राजसमंद (Rajsamand) / जिला मुख्यालय के समीपवर्ती में पिपलांत्री, पुठोल, मुंडोल , बोरज ग्राम पंचायत क्षेत्र में तीन लोगों का शिकार करने के बाद लोगों के आक्रोश के चलते वन विभाग द्वारा दस दिन से पैंथर को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे थे। इसके चलते शनिवार रात व रविवार तड़के दो पैंथर वन विभाग के पिंजरे में कैद हो गए , जिससे न सिर्फ वन विभाग की टीमों ने राहत की सांस ली, बल्कि ग्रामवासियों ने भी संतोष व्यक्त किया हैं। पहला आदमखोर पैंथर भूडान गांव में लगाए पिंजरे में तो दूसरा आरके ओल्ड माइंस के पास लगाए पिंजरें में कैद हुआ हैं। उपवन संरक्षक सुदर्शन शर्मा ने बताया कि शनिवार देर रात पुठोल ग्राम पंचायत के भुडान में एक मादा पैंथर को पकड़ा गया था, जबकि पिपलांत्री व बोरज ग्राम पंचायत की सरहद पर खारण्डिया गांव के समीप स्थित अंडेला में नर पैंथर भी पिंजरे में कैद हो गया। दोनों पैंथर को राजसमंद जिला मुख्यालय स्थित वन विभाग कार्यालय लाया गया, जहां पशु चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य जांच की गई। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में लगातार हुए इंसानों पर हमले के बाद वन विभाग ने पैंथर को पकडऩे के लिए राजसमंद के अलावा उदयपुर व जोधपुर वन विभाग की 10 टीमें लगातार पैंथर को ड्रोन के जरिए सर्च कर रही थी और पैंथर को पकड़ने के लिए 5 जगह पर पिंजरे लगाए गए थे। इस तरह वन विभाग द्वारा दोनों पैंथर को पकड़ने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली हैं। इससे पहले पिपलांत्री, बोरज, पुठोल, मुंडोल पंचायत क्षेत्र में पैंथर हमले कर दो दर्जन से ज्यादा लोगों को घायल कर चुका है।
ग्रामीणों के साथ जुटी दस टीमें
पिपलांत्री, बोरज, मुंडोल व पुठोल पंचायत क्षेत्र में पैंथर के विचरण को लेकर वन विभाग द्वारा ड्रोन कैमरे से निगरानी शुरू की गई। इसके तहत दिन व रात टीमों को लगाया गया और क्षेत्रीय ग्रामवासियों की भी मदद ली गई। पांच जगह पिंजरे लगाए गए, मगर पैंथर पिंजरे में नहीं आया। इस पर वन विभाग द्वारा रोजाना पिंजरे की लोकेशन भी बार-बार बदली गई, जिससे पैंथर पिंजरे में कैद हो गया।
12 घंटे में पिंजरे में कैद हुए दो पैंथर
गौरतलब हैं कि हाल ही में 26 अगस्त को पैंथर ने अंडेला गांव के पास बकरियां चरा रही रुक्मा देवी का शिकार कर उसे मौत के घाट उतार दिया था। उस दौरान ग्रामीणों ने मृतका के शव का पोस्ट मार्टम नहीं करवाकर प्रदर्शन करते हुए प्रशासन एवं वन विभाग के अधिकारियों से क्षेत्र में विचरण करने वाले नरभक्षी पैंथर को पकड़ने की मांग की थी। उसके बाद विभागीय अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी ग्रामीणों को आश्वासन दिया था कि जब तक क्षेत्र से पैंथर नहीं पकड़े जाते तब तक पिंजरे लगाकर वन विभाग की टीमें वहीं पर तैनात रहेगी। जिसका परिणाम ये रहा की आखिर दस दिन बाद दो पैंथर पिंजरें में कैद हो गए।
वन-विभाग के जालों व पिंजरों को पहचानता है पैंथर
जोधपुर वन विभाग के ट्रैकुलाइज करने वाले बंशीलाल के अनुसार, लेपर्ड को पकड़ने के लिए पिछले पांच दिनों से अलग-अलग स्थानों पर पिंजरे लगाए गए थे और टीम लगातार जंगल में उसकी खोज में जुटी थी। लेपर्ड की हिंसक प्रवृत्ति और लोगों पर हमला करने की घटनाओं ने बचाव कार्य को और चुनौतीपूर्ण बना दिया था। इसके अतिरिक्त, लेपर्ड की वन विभाग के पिंजरों और जालों को पहचानने की क्षमता ने उसे पकड़ने में एक बड़ी बाधा उत्पन्न कर दी थी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नर लेपर्ड लगभग 8 साल का हैं ।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।