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आदिवासी महिलाओं के संवैधानिक हक को लेकर डॉ रजनी पी रावत ने राष्ट्रीय महिला आयोग की कार्यशाला में रखे सुझाव

उदयपुर( Udaipur)-राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा आयोजित विवाह पूर्व परामर्श एवं शिक्षा विषय पर महाराष्ट्र के पुणे में आयोजित एक कार्यशाला में डॉ रजनी पी रावत ने भाग लेकर राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया।

डॉ रजनी ने इस कार्यशाला में मुख्यत ईसाई व मुस्लिम से विवाह के बाद आदिवासी महिलाओं के संवैधानिक हक समाप्त होने को लेकर अपने विचार रखे। साथ ही संस्कृति को संरक्षित करते हुए कैसे संवैधानिक हक को बनाए रखा जा सकता है इस बारे में देश भर से आईं महिला प्रतिनिधियों को जानकारी दी। डॉ रजनी ने बताया कि शहरीकरण के दौर में किस प्रकार सामंजस्य की समस्याएं आ रही हैं और कैसे इसका समाधान निकाला जाएगा इस बारे में अपने सुझाव रखे। आदिवासी बाहुल्य झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के उदाहरण देकर अवैध रोहिंग्या द्वारा जनजातियों की कृषि भूमि हड़पने तथा लव जिहाद से आदिवासी बेटियों की सुरक्षा के गंभीर खतरों के बारे में आयोग के समक्ष तथ्य रखे।

भारत भर की महिलाओं की भागीदारी में आयोजित इस कार्यशाला में प्राप्त सुझावों के आधार पर राष्ट्रीय महिला आयोग विवाह पूर्व परामर्श एवं शिक्षा विषय पर एक प्रशिक्षण का मॉड्युल तैयार करेगा।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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