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निर्दोष आचरण में निहित हैं उत्साह आनन्द और सफलता – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Udaipur) – श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ उमरणा के स्थानक भवन में सभा के दौरान जिनेन्द्र मुनि ने अपनी प्रवचन माला में कहा कि जीवन मे उत्साह बना रहे आनन्द का अनुभव होता रहे और सफलताएं मिलती रहे सभी यह चाहते हैं।सच भी हैं उत्साह आनन्द न हो तो मानव जीवन का लाभ ही क्या? उत्साह आनन्द और सफलता की चाह गलत नही है किन्तु ये सब जीवन को कैसे प्राप्त हो यह रहस्य समझने वाले कम हैं।किसी पीड़ा को मिटाने के लिए कोई पीड़ा नामक गोली या इंजेक्शन ले लेना पीड़ा का सच्चा समाधान नही हैं। गोली का प्रभाव हटने पर पीड़ा तो तैयार हैं , पीड़ा का सही समाधान व्यवस्थित उपचार में है। ऐसे ही छल कपट झूठ हिंसा दि से भौतिक सुख सुविधा के साथ जुटा लेना आनंद का आधार नही।एक चिंता को मिटाने का जो अधर्म किया वह और अधिक चिंता लेकर आएगा। उसका समाधान कैसे होगा। मुनि ने कहा आज जो जन जीवन मे तनाव व्याप्त हैं उसका मुख्य कारण ही यही है।व्यक्ति अपने एक पाप से छुटकारा पाने नया पाप पैदा करता हैं । जीवन को निर्दोष रूप से जीने का प्रयत्न करना चाहिए।अपराध करके व्यक्ति निश्चित नही रह सकता।निर्दोष जीवन की रचना करने में कुछ कठिनाई अवश्य आ सकती है किन्तु अपराध कर के जो चिंताएं और आशंकाए पैदा होती है उस के द्वारा होने वाले कष्ट से यह कष्ट निश्चित ही कम होता है और यह कष्ट अस्थायी होता हैं। संत ने कहा सच्चे और अच्छे व्यक्ति के लिए प्रगति के द्वार स्वतः खुलते चले जाते है।अनेक व्यक्तियों की गलत धारणाएं रहती है कि आज व्यक्ति झूठ बेईमानी से ही सफलता पा सकता है यह गलत है। झूठ बेईमानियां और कोई अपराध तत्कालीन रुप से लाभदायक हो भी जाये फिर भी उसके द्वारा जो आत्म पतन होता हैं व्यक्तित्व की क्षति होती है आशंका और चिंताओं से जो उद विघ्नता आती है ये हानिया ऐसी होती है कि वह तत्कालीन लाभ उसकी पूर्ति नही कर सकता।मुनि ने कहा निर्दोष एवं सच्चा व्यक्ति अभावों के बीच भी जो निश्चिन्तता और आनन्द पाता है पाप पूर्ण सारे विश्व का वैभव भी उसकी तुलना में नही ठहरता है।

प्रवीण मुनि ने कहा कि यह सत्य है कि आज व्यक्ति अनेक समस्याओं से निरन्तर घिरा रहता है।अहर्निश व्यक्ति कही न कही संलग्न है अनेक अभाव उसे कचोटते है।अधिकतर उसका समय तनावों में ही गुजरता है।रितेश मुनि ने कहा कि विश्व मे जितने भी महापुरुष हुए है ।उनका निर्माण क्रमशः ही हुआ है। थोड़ा थोड़ा करके ही वे बने हैं।

प्रभात मुनि ने कहा कि मानव के अस्तित्व के साथ समस्याओं का अस्तित्व ही जुड़ा है। जहां समस्या है वहा समाधान भी है। किंतु उसे पाने के लिए रचनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए।

 

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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