Home » प्रदेश » प्राचीन समय के विभिन्न कालों की मुद्रा और मुद्रिका की प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

प्राचीन समय के विभिन्न कालों की मुद्रा और मुद्रिका की प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

उदयपुर – भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय और अकेडमी ऑफ न्यूमिस्टिक्स एंड सिगोलोग्राफी, इन्दौर के साझे में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन मुद्रा और मुद्रिका की प्रदर्शनी के साथ दो तकनीकी सत्रों में मुद्रा विषयक 25 से अधिक शोध-पत्रों का वाचन हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन अखिलेश जोशी, स्वतंत्र महानिदेशक हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के कर कमलों से हुआ। उन्होंने कहा कि उदयपुर में इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन एक महत्वपूर्ण आयोजन है जिसके माध्यम से हम विभिन्न कालों में प्रचलित मुद्राओं और मुद्रिकाओं की जानकारी सहज रूप में प्राप्त कर सकते हैं। भूपाल नोबल संस्थान के प्रबंध निदेशक मोहब्बत सिंह राठौड़ ने कहा कि मुद्रा शास्त्र का अपना विज्ञान है। ऐसी दुर्लभ मुद्राओं का संकलन करना और प्रदर्शित करना एक सराहनीय प्रयास है। वित्तमंत्री शक्ति सिंह राणावत, डॉ कमलेंद्र सिंह राणावत आदि ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर इस तरह के आयोजन को विद्यार्थियों के हित में बताया। डॉ शशि कान्त भट्ट ने मुद्राओं के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि ऐसी दुर्लभ मुद्राओं का संकलन आज के समय में दुर्लभ है और ऐसी मुद्राओं के संकलन में अत्यंत श्रम और प्रयास की आवश्यकता होती है। यह उदयपुर शहर के लिए गर्व की बात है कि ऐसी प्रदर्शिनी का आयोजन शहर में और भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय में हो रहा है।

संगोष्ठी आयोजन सचिव डॉ पंकज आमेटा ने बताया कि डॉ. गिरीश शर्मा, डॉ मेजर महेश कुमार गुप्ता, अश्विनी शोध संस्थान मेहंदीपुर के आर सी ठाकुर, पुष्पा खमेसरा आदि ने बौद्ध कालीन, मौर्यकालीन, कुषाणकालीन एवं ब्रिटिशकालीन दुर्लभ मुद्राओं और चिह्नों को प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया। इसके साथ ही प्राचीन समय के दुर्लभ डाक टिकट भी इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये गए। प्रदर्शनी में विभिन्न कालोें के विभिन्न प्रकार के मनके, कीमती पत्थरों को मालाएं, कडे़, मिट्टी एवं हड्डियों से निर्मित विभिन्न प्रकार की वस्तुएं प्रदर्शनार्थ रखी गई थीं। महाविद्यालय अधिष्ठाता डॉ शिल्पा राठौड़ ने बताया कि द्वतीय एवं तृतीय तकनीकी सत्रों में नागपुर के प्रसिद्ध मुद्रा शास्त्री डॉ प्रशांत कुलकर्णी ने मुद्रा शास्त्र पर विस्तार से व्याख्यान दिया। डॉ शैलेन्द्र भण्डारी ने भी विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मुद्रा शास्त्र का ऐतिहासिक महत्व है इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। संस्कृति और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को जानने में मुद्राओं की विशेष भूमिका रहती है।संगोष्ठी में देश के प्रतिष्ठित मुद्रा शास्त्री के साथ ही इतिहास विभाग के डॉ. भानुकपिल, डॉ नरेन्द्र सिंह राणावत, डॉ. भूपेन्द्र सिंह राठौड़, डॉ. निशा तंवर, डॉ चन्द्ररेखा शर्मा सहित शोधार्थियों एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों ने भाग लिया। विभिन्न सत्रों का संचालन डॉ प्रवीणा राठौड़ ने किया।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Realted News

Latest News

राशिफल

Live Cricket

[democracy id="1"]