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किस्से किनारों के’ नाटक में किया अन्याय और उत्पीड़न से जुड़े सवालों को किया उजागर

उदयपुर – पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र  द्वारा आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘रंगशाला’ में रविवार को नाटक ‘किस्से किनारों के’ का मंचन किया गया। कलाकारों ने बेहतर प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फ़ुरकान खान ने बताया की प्रति माह आयोजित होने वाली मासिक नाट्य संध्या रंगशाला रविवार को शिल्पग्राम उदयपुर स्थित दर्पण सभागार में जयपुर की ब्रीदिंग स्पेस (भारत) – द आर्ट्स कलेक्टिव पीएल द्वारा ‘किस्से किनारों के’ नाटक का मंचन किया गया। इस नाटक के निर्देशक अभिषेक गोस्वामी है।

आदम गोंडवी की प्रभावशाली कविता ‘आइए महसूस करिए जिंदगी के ताप को’ से नाटक की शुरूआत हुई। नाटक में कलाकारों ने अन्याय और उत्पीड़न से जुड़े सवालों को उजागर किया। प्रेमचंद की कहानी सद्गति, डॉ. भीमराव अंबेडकर की आत्मकथा ‘वेटिंग फॉर ए वीजा’ और ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानी ‘शवयात्रा’ के माध्यम से समाज में व्याप्त सामाजिक और सांस्कृतिक संघर्षों को दिखाया गया। अली सरदार जाफरी की नज्म ‘कौन आजाद हुआ’ के साथ नाटक का समापन हुआ। फोक गीतों की मधुरता ने प्रस्तुति को और गहराई दी। जैसे ही हीरा डोम का गीत ‘ऐसे हम करमहीन…’ और आशु ठाकुर का ‘सूनी रे मढ़ैया मोरी’ मंच से गूंजा, दर्शकों की आंखे नम हो गई।

कलाप्रेमियों ने इस नाटक तथा उसके पात्रों द्वारा किए गए अभिनय को सराहा। कार्यक्रम में केन्द्र के उपनिदेशक (कार्यक्रम) पवन अमरावत, सहायक निदेशक (वित्तीय एवं लेखा) दुर्गेश चांदवानी सहित शहर के कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। अंत में सभी कलाकारों का सम्मान किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन सिद्धांत भटनागर ने किया।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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