Desk update/ संत रविदास जिन्होंने जीवन भर समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जात-पात के अंत के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया।
काशी में रहने वाले रुढ़ीवादी लोगों ने,उनकी प्रसिद्धि को रोकने की कोशिश की। क्योंकि संत रविदास अस्पृश्यता के भी गुरु थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी, और अपने संदेश को फैलाना जारी रखा।
लोग यहां भी नहीं मानें तो राजा के सामने ने उनकी शिकायत की, कि वे भगवान के बारे में बात करते हैं,और लोगों को अध्यापन और सलाह देते हैं। लेकिन संत रविदास ने अपने विश्वास को नहीं छोड़ा और अपने संदेश को फैलाना जारी रखा।
आज भी संत रविदास जी का संदेश प्रासंगिक है, एकता और भाईचारे का उनका संदेश हमें प्रेरित करता है। उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि, हम सभी एक हैं और हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।
इनके कुछ दोहे और अर्थ
- मन चंगा तो कठौती में गंगा
- अर्थ: यदि मन पवित्र हो तो हर जगह भगवान की उपस्थिति महसूस की जा सकती है।
- “जाति-पाति पूछे नहीं कोय, हरि को भजे सो हरि का होय”
- अर्थ: भगवान की भक्ति में जाति-पाति का कोई महत्व नहीं है, जो कोई भी भगवान की भक्ति करता है वह भगवान का हो जाता है।
- “मानुस जनम दिया है, खेल कूद लीला”
- अर्थ: मानव जीवन एक खेल है, जिसमें हमें अपने कर्मों के अनुसार फल प्राप्त करना होता है।
![Pavan Meghwal](https://dailyrajasthan.com/wp-content/uploads/2024/04/WhatsApp-Image-2024-04-02-at-18.04.09_uwp_avatar_thumb.jpeg)
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।