Breaking News

Home » प्रदेश » नारायण सेवा संस्थान का 43वां दिव्यांग सामूहिक विवाह, पहले दिन की रस्मों में हल्दी-मेहंदी का उल्लास,रात में महिला संगीत की महफ़िल

नारायण सेवा संस्थान का 43वां दिव्यांग सामूहिक विवाह, पहले दिन की रस्मों में हल्दी-मेहंदी का उल्लास,रात में महिला संगीत की महफ़िल

उदयपुर (Udaipur)- जब आंखों ने सपने देखे,तब होठ कुछ कह न पाए, मन में उमंग उठी मगर दुनिया ने उसे अनसुना कर दिया। ऐसे कई जनों के सपनें नारायण सेवा संस्थान के आंगन में होंगे साकार।

नारायण सेवा संस्थान के सेवा महातीर्थ, बड़ी में 43 वें दो दिवसीय निर्धन व दिव्यांग सामूहिक विवाह में हल्दी और मेहंदी की रस्म के साथ सिंदूर तक का सफर शनिवार को विनायक स्थापना के साथ आरंभ हुआ। जिसमें 51 जोड़े रविवार को पवित्र अग्नि के सात फेरे लेकर जनम- जनम के साथी बनेंगे।

प्रथम दिन संस्थान संस्थापक पद्मश्री अलंकृत कैलाश ‘मानव’, सहसंस्थापिका कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वन्दना अग्रवाल ने विनायक स्थापना कर विवाह की सफलता के लिए उनका आह्वान किया। कार्यक्रम में एशिया,ओशिनिया,उत्तरी अमेरिका,यूरोप महाद्वीप से लेकर राजस्थान सहित देश के विभिन्न राज्यों के करीब 800 अतिथि दिव्यांग जोड़ों को आशीर्वाद देने आये है।

उल्लेखनीय है कि परिणय सूत्र में बंध रहे दिव्यांग जोड़ों में कोई पैर से, कोई हाथ से तो कुछ ऐसे भी हैं जो देख नहीं पाते, सुन नहीं पाते । लेकिन संस्थान के प्रयासों से एक- दूसरे का सहारा बनकर शेष जीवन में खुशियों के रंग भरेंगे।

राजस्थान के परंपरागत वैवाहिक गीतों की गूंज के बीच हल्दी व मेहंदी की रस्मों का सहसंस्थापिका कमला देवी व निदेशक वंदना अग्रवाल के साथ कन्यादानियों व परिजनों ने निर्वाह किया। इस मौके पर ‘हल्दी लगाओ री, तेल चढ़ाओं री’बन्नी का गोरा बदन दमकाओं री’ और मेहंदी को रंग सुरंग निपजे मालवे जी’ आदि गीतों के साथ बाराती और घरातियों ने जमकर नृत्य किया और दूल्हा- दुल्हनों को हल्दी व मेहंदी लगाई । इंदौर के धर्मदास के दोनों हाथ न होने से हल्दी उनके कंधों पर और मेहंदी पांव पर लगाई गई वहीं दुल्हन सज्जन के कटे हाथ पर मेहंदी रस्म निभाई गयी।

प्रारंभ में संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कन्यादानियों व अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि जो दिव्यांग जोड़े यहां आत्मसात हो रहे हैं, उनमें से अधिकतर के ऑपरेशन संस्थान में ही हुए और रोजगारपरक प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्मनिर्भरता की राह पर यात्रा भी यही से शुरू की।उन्होनें बताया कि संस्थान बहुत जल्द ही कृत्रिम अंग निर्माण में विश्वस्तरीय नवीनतम टेक्नोलॉजी को उपयोग में लाने जा रहा है। जिससे दिव्यांगों की जिन्दगी और भी आसान हो जायेगी।

संस्थान संस्थापक कैलाश ‘मानव’ व कमला देवी अग्रवाल ने विवाह के पवित्र बंधन में बंधने जा रहे सभी 102 बेटे–बेटियों को आशीर्वाद देते हुए उनके भावी जीवन के लिए मंगलकामनाएं की। इस अवसर पर धर्म माता पिता और कन्यादानियों का अभिनंदन भी किया गया। तेल,हल्दी,चन्दन और मेहंदी की रस्मों के दौरान पारम्परिक गीतों पर मौजूद लोगों ने थिरक-थिरक कर खूब मस्ती ली।

पहले दिन की शाम भी ढोलक की थाप पर महिला संगीत और नृत्यों से धमक उठी।

दूसरे दिन रविवार की प्रातः 10 बजे तोरण और वरमाला रस्म अदायगी के साथ सभी 51 जोड़े 51 वेदियों पर आचार्यों के निर्देशन में वैदिक मंत्रोचारण के बीच अग्नि के साथ फेरे और सात वचनों के साथ दो तन एक प्राण हो जायेंगे।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Leave a Comment

Realted News

Latest News

राशिफल

Live Cricket

[democracy id="1"]