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हाड़ौती में क्षेत्रीय पुरा संपदा एक धरोहर पर प्रथम सेमिनार हाड़ौती , भारत में समृद्ध इतिहास का साक्षी है – कुलपति देवीप्रसाद

कोटा (Kota)- हाड़ौती क्षेत्र भारत में समृद्ध इतिहास का साक्षी है। यदि कर्ता और कृति को जोड़ दिया जाएगा तो इतिहास जानने की गति बढ़ेगी। पुरातत्व अब इतिहास का विषय नहीं यह कई प्रकार की गतिविधियों से जुड़ गया है। यह विचार रविवार को जय मीनेश विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. देवीप्रसाद तिवारी ने व्यक्त किए। वे बारां जिला मुख्यालय पर धर्मादा धर्मशाला में हिन्द की सांस्कृतिक विरासत समूह और पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग बारां के संयुक्त तत्वावधान में अयोजित एक दिवसीय सेमिनार में मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हाड़ौती में चंद्रेसल के पास शुतुरमुर्ग के अंडे मिले है। जिन पर पेंटिंग भी थी। 30 से 40 हजार साल पहले यहां शुतुरमुर्ग रहे होंगे। शैलाश्रयों में पेंटिंग मिलती है। प्राचीन मठ, मंदिर, प्रतिमाओं सहित यह क्षेत्र विविधता से समृद्ध है। इतिहास में वैज्ञानिक विश्लेषण भी आधार होना चाहिए। कार्बन डेटिंग से साक्ष्यों का सही काल पता लगाया जा सकता है। अभी शैलाश्रयों में दो समय की पेंटिंग मिलती है। पेंटिंग बनाने वाले समुदाय को लेकर साक्ष्य खोजने चाहिए। अच्छी बात है कि नई पीढ़ी इतिहास में रूचि रख रही है।

अटरू, शेरगढ़ के लिए योजना 

अध्यक्षता करते हुए तकनीकी पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जयपुर अधीक्षक धर्म जीत कौर कहा कि बारां जिले के अटरू, शेरगढ़ एवं धूमेन के लिए विशेष योजना बनाई जा रही है। अन्य क्षेत्रों का भी सर्वे कराया जाएगा इससे पुरा संपदा को सहजने, संवारने के साथ ही विरासत सुरक्षित रहेगी। उन्होंने जनजागरण के लिए आयोजित सेमिनार की सराहना की।

पुरासंपदा पर शोध पत्र 

सेमिनार में करीब 18 विद्वानों ने अपने विस्तृत शोध पत्र भी पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत किए। धर्मेंद्र कुमार ने बावडियों के निर्माण में महिलाओं का योगदान, हंसराज नागर ने हाड़ोती के शैलचित्र, कुलदीप भार्गव ने कृष्ण विलास का कला वैभव, डॉ. हेमलता वैष्णव ने भंडदेवरा मंदिर का शिल्प सौंदर्य, हंसराज नगर ने इतिहास की अनमोल धरोहर बारां जिले के शैल चित्र, डॉ. अनुपमा पंवार ने झालावाड़ संग्रहालय की नवदुर्गा चामुंडा प्रतिमा, डॉ. मुक्ति पाराशर ने हाड़ोती का अचर्चित ऊर्ना का शिव मंदिर, नरेंद्र मीणा ने बडोली की शेई मूर्ति का शिल्प सौंदर्य, डॉ. विजेंद्र कुमार ने बूंदी संग्रहालय में संरक्षित शिव मूर्ति शिल्प, डॉ. प्रीति शर्मा ने कामां के 84 खंभा मंदिर सहित मालवा क्षेत्र की पुरासंपदा पर भी विद्वानों ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया।

विरासत पर उपेक्षा चिंतनीय 

प्रसिद्ध मुद्रा संग्रहकर्ता आर. सी. ठाकुर ने भारत की समृद्ध विरासत पर स्थानीय विद्वानों की उपेक्षा पर चिंता जाहिर की। उनका प्राचीन मुद्राओं का परिचयात्मक प्रदर्शन आकर्षण का केंद्र रहा। प्रारंभ में पुरातत्व संपदा से भरपूर अटरू के राकेश शर्मा द्वारा पावर पॉइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से बारां जिले की विरासतों की चित्रात्मक प्रस्तुति दी गई। इनके द्वारा बारां जिले की प्रागैतिहासिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक धरोहरों को प्रदर्शित किया।

निरंतर हो आयोजन 

विशिष्ट अतिथि कोटा सेंट्रल कॉपरेटिव बैंक प्रबंध निदेशक बलविंद्र सिंह गिल ने इस प्रकार के आयोजन लगातार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। झालावाड़ के इतिहासकार ललित शर्मा ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत कर कहा कि हाड़ोती के पुरातत्व पर यह प्रथम सेमिनार है। इसके दूरगामी परिणाम आने की आशा की जा सकती है। सेमिनार हाड़ोती के पुरास्थलों के समीक्षण के प्रति जागरूकता और सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से आयोजित की गई है। पुरातत्व, संग्रहालय विभाग कोटा वृत्त अधीक्षक हिमांशु सिंह, अश्विनी मुद्रा शोध संस्थान महितपुर मध्यप्रदेश डॉ.आरसी ठाकुर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे।

गजेन्द्र सिंह का सम्मान

वर्षों से पुरासंपदा पर लेखन करने वाले इतिहासकार गजेन्द्र सिंह यादव का भी सम्मान किया गया। अतिथियों का स्वागत डॉ. मुक्ति पाराशर, हंसराज नागर व डॉ. हेमलता वैष्णव ने किया। संचालन हंसराज नागर व डॉ. हेमलता वैष्णव ने किया। गायत्री शर्मा ने सभी का आभार जताया।

इस अवसर पर उज्जैन से डॉ. अंजना सिंह गौर, डॉ. मंजू यादव, श्वेता पाठक, डॉ. राजेश मीणा, डॉ. एकता व्यास, भोपाल से वाकणकर संग्रहालय के शोध अधिकारी डॉ. धुवेन्द्र सिंह जोधा, केकड़ी से पुष्पा शर्मा, कोटा से डॉ. मुक्ति पाराशर, डॉ. विजेन्द्र कुमार, कनवास से धर्मेन्द्र कुमार, नरेन्द्र कुमार मीणा, झालावाड़ से डॉ. अनुपमा पंवार, कामां डीग से डॉ. प्रीति शर्मा, बारां से हंसराज नागर, डॉ. हेमलता वैष्णव, कुलदीप भार्गव, अटरू से राकेश शर्मा व बांसवाड़ा से डॉ. अदिती गौड़ ने अपने-अपने क्षेत्र की पुरातात्विक धरोहरों पर सचित्र परिचय एवं इतिहास प्रस्तुत किया। बड़ी संख्या में इतिहासविद व इतिहास शोधार्थी मौजूद रहे। झालावाड़ की सावित्री शर्मा ने धन्यवाद दिया।

इतिहासविद ललित शर्मा ने बताया कि एक विश्वनीय सूत्र के अनुसार आप सभी को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि बारां की सफल पुरातत्व सेमिनार की गूंज राजस्थान हिस्ट्री कांग्रेस जोधपुर और राजस्थान एपिग्राफी कांग्रेस बीकानेर तक पहुंच गई है जो सुखद आश्चर्य है । इसी के साथ ग्रुप की वार्षिक शोध पत्रिका संस्कृति वैभव के प्रकाशन की भी चर्चा हो रही है ।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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