उदयपुर (Udaipur) – राजकीय महाविद्यालय बड़गांव में “किशोरों में फोन डिटॉक्सः स्क्रीन टाइम से सेल्फ टाइम तक“ विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किशोरों में बढ़ती डिजिटल लत और स्क्रीन टाइम के मानसिक और शारीरिक प्रभावों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था।
महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजना गौतम ने कहा कि आज का युवा स्मार्टफोन और डिजिटल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के कारण पढ़ाई, सामाजिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव झेल रहा है। उन्होंने कहा कि स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करना और अपने समय का सदुपयोग करना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। स्वस्थ मानसिक स्थिति बनाए रखने के लिए डिजिटल डिटॉक्स आवश्यक है। इससे छात्र अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन बना सकते हैं।“
मुख्य वक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल डॉ. संगीता तिवारी ने बताया कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग मस्तिष्क पर गंभीर प्रभाव डालता है। उन्होंने कहा कि मोबाइल स्क्रीन पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित करने से मानसिक थकान, चिंता और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। डॉ. तिवारी ने महामारी विज्ञान से जुड़े अध्ययनों का उल्लेख करते हुए बताया कि अधिक स्क्रीन टाइम किशोरों में नींद की समस्या, चिंता और अवसाद का कारण बन सकता है। डॉ. तिवारी ने डिजिटल लत से निपटने के लिए उपाय साझा किए और सुझाव दिया कि किशोरों को शारीरिक गतिविधियों और मानसिक विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने डिजिटल डिटॉक्स के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “डिजिटल डिटॉक्स से न केवल मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, बल्कि रचनात्मकता भी बढ़ती है।“
इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों की उपस्थिति रही। व्याख्यान किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और डिजिटल लत के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध हुआ।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।