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महापरिनिर्वाण दिवस: समाज पर है बाबा साहेब अंबेडकर का स्थायी प्रभाव

Desk update/ भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर का 6 दिसंबर 1956 को निधन हुआ था, और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए देशभर में महापरिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है।

बता दें कि 6 दिसंबर 2024 को भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी की 68 वीं पुण्यतिथि हैं। समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, विचारक, राजनेता और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भीमराव रामजी आंबेडकर ने आखिरी सांस ली, और यह दिन महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

बाबासाहेब भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत

महापरिनिर्वाण दिवस भारतीय समाज के लिए, विशेष रूप से सामाजिक समानता, न्याय और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन हैं। 6 दिसंबर को भारतीय संविधान के निर्माता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव आंबेडकर की स्मृति, उनके योगदान और उनके जीवन के आदर्शों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। डॉ. आंबेडकर जी का जीवन केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

समान, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव

डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर ने अपना अधिकांश जीवन सामाजिक असमानता, जातिवाद और शोषित वर्ग के अधिकारों के लिए संघर्ष में बिताया। महापरिनिर्वाण दिवस पर हम बाबासाहेब को महान विचारक, समाज सुधारक और भारतीय संविधान के निर्माता के रूप में सम्मानित करते हैं। बाबासाहेब आंबेडकर जी का जीवन और उनकी विचारधारा आज भी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने न केवल दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए संघर्ष किया, बल्कि पूरे भारतीय समाज के लिए समान, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव रखी।

भारतीय संविधान की रचना

आंबेडकर जी ने अपने जीवन के मूल मंत्र के रूप में शिक्षा, समानता और बौद्ध धर्म को अपनाया। उनके नेतृत्व में भारतीय संविधान की रचना की गई, जिसने देश को एक नई दिशा दी। इसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार दिए गए। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर आज हमारे बीच नहीं हैं, फिर भी उनके विचार समाज के कोने-कोने में गूंजते हैं। महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्हें स्मरण करना, उनके योगदान को याद करना और उनके दिखाए मार्ग पर चलना ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

क्या है महापरिनिर्वाण दिवस 

‘परिनिर्वाण’ शब्द का बौद्ध परंपरा में गहरा अर्थ है और यह उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जिसने अपने जीवनकाल में और मृत्यु के बाद निर्वाण प्राप्त किया हैं। 6 दिसंबर का यह दिन बाबासाहेब के समाज में अतुलनीय योगदान और उनके कार्यों की स्मृति में मनाया जाता हैं। इस दिन मुंबई के चैत्यभूमि पर लाखों लोग और अनुयायी एकत्र होते हैं। समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू करना, दलितों के समान अधिकारों के लिए आवाज उठाना, निदेशक सिद्धांत तैयार करना, बाबासाहेब के अथक प्रयासों के कारण उन्हें भारतीय राजनीतिक इतिहास में एक अभूतपूर्व स्थान प्राप्त हुआ। 1932 के ऐतिहासिक पूना समझौते पर उन्होंने हस्ताक्षर किए, जिसके कारण दलितों को सामान्य मतदाता सूची में स्थान मिला।

महापरिनिर्वाण दिवस पर कैसे अर्पित करें बाबासाहेब को श्रद्धांजलि 

भारतीय संविधान के महान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए दादर के “चैत्यभूमि” (डॉ. आंबेडकर का स्मारक) पर देशभर से लोगों की बड़ी भीड़ होती है। चैत्यभूमि पर इस दिन लोगों की सुविधा के लिए शौचालय, पानी के टैंकर, वॉशिंग रूम, फायर स्टेशन, टेलीफोन सेंटर, स्वास्थ्य सेवा केंद्र, आरक्षण काउंटर जैसी सभी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। 5 दिसंबर की मध्यरात्रि को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उनके उपदेशों का पाठ होता है और उसके बाद स्तूप के द्वार सभी के लिए खोल दिए जाते हैं।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के बारे में…

14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश में जन्में आंबेडकर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय के तहत एल्फिंस्टन कॉलेज से अपनी शिक्षा पूरी की और फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बार कोर्स किया। एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी, आंबेडकर ने जवाहरलाल नेहरू और गांधी के साथ मिलकर अग्रणी नेतृत्व किया और समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आंबेडकर ने दलित बौद्ध आंदोलन, समान मानव अधिकारों और इस समाज के भले के लिए अथक प्रयास किए। इसलिए ऐसे महान व्यक्तित्व को उनके पुण्यतिथि के अवसर पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करना अनिवार्य है। 1956 में उन्होंने “एनिहिलेशन ऑफ कास्ट” पुस्तक प्रकाशित की, जिसमें अस्पृश्यता और दलितों के प्रति तत्कालीन प्रथाओं और कानूनों की आलोचना की थीं।

1990 में, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को मरणोत्तर भारत रत्न, भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किया गया।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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