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फिरका परस्ती को धर्म मे कही स्थान नहीं – जिनेन्द्र मुनि 

गोगुंदा (Udaipur) – श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में घोड़च के स्थानक भवन में व्याख्यान के दौरान जिनेन्द्र मुनि ने कहा कि धार्मिकता की दुहाई देकर धर्म का चोला पहनकर अनीति और अनैतिक काम करने वालो को दोहरे आचरण से आने वाली युवा पीढ़ी धर्म स्थान पर चल , मायाचारी फिरका परस्ती आदि बुराइयों को पनपती देखकर धर्म गुरुओं का मूकदर्शक बना रहना उन्हें भ्रमित कर रहा हैं। धार्मिक विवादों से समाज और देश की दुर्दशा धर्म से दूर भाग रहे हैं। इसके लिए सम्पूर्ण दोषी असहाय संत और धर्म के तथाकथित ठेकेदार हैं, जिन्होंने धर्म की पवित्र जाजम पर जहर घोलकर उस स्थान को ही अपवित्र कर दिया है।अनैतिक स्वार्थी और सत्ता लोलुप तथा कथित धार्मिक लोगों की घुसपैठ को रोकने के लिए समाज हितैषी और चिंतनशील संतो ने कमर नही कसी तो भविष्य उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। फिरका परस्ती को धर्म मे कही स्थान नही हैं। यह तो पाप और अधोपतन का मार्ग हैं। कथनी और करनी में जमीन आसमान का अंतर होने के बावजूद धर्म मे दुहाई देना कितनी हास्यास्पद स्थिति हैं। मंच पर बैठकर महापुरुषों के सिद्धांतों में विश्व शांति की ताकत हैं। दुहाई देने वाले संत अपने ही उपासकों के विवाद निपटाने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।इससे बढ़कर शर्म की और क्या बात होगी। एक ही आराध्य के उपासक उन्ही के नाम पर टांग खिंचाई कर हंगामें खड़े करके वास्तव में अपने हाथों महापुरुषों को चौराहे पर खड़े कर रहे हैं। वे ही धर्म के सच्चे दुश्मन और कपूत हैं। विवेक युक्त ज्ञानी बन जाने पर स्वतः विवाद समाप्त हो जाएंगे। एक मंच पर बैठकर सद्भाव अपनाने का राग अलापते है।परंतु नीचे उतरते ही दूसरे पत पंथ की दीवारें मजबूत कर मानव को खड़े कर के बाड़ा बन्दी में लिप्त हो जाते है। तब सुधार कहा से सम्भव होगा । संत समाज अगर अंतर मन से चाहे तो एक पल में सभी धार्मिक विवादों का अंत हो सकता है।परंतु उन्हें पंथ मोह सत्ता रही है। हमे आशा रखना व्यर्थ है।उदाहरण देते हुए गुरुदेव ने कहा कि धर्मगुरु का अनुयायी टीवी देखे, शराब पिये ,बुराइयां अपनावें तो उनके कान पर जूं नही रेंगती। परंतु उनका अनुयायी अन्य स्थल पर साधना करने चला जायेगा तो उनके बदन में आग लग जायेगी।उसे फटकारा जाएगा।क्या यही धर्म रह गया हैं । गुरु ने आह्वान किया कि सभी धर्मों में रही अच्छाइयों को आत्मसात करना चाहिए।

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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