सायरा (Udaipur) – उमरणा में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के स्थानक भवन में आज संतो के सानिध्य में राष्ट्र संत गणेश मुनि शास्त्री का 10वां स्मृति दिवस मनाया गया। इस दौरान दूर दूर से लोगों का आवागमन हुआ वहीं उदयपुर से श्रमण विहार समिति के सदस्यों ने भी उपस्थिति दर्ज करवाई। जिनेन्द्र मुनि ने कहा कि गणेश मुनि ने अनेक विधाओं में साहित्य सर्जना की हैं। गणेश मुनि शास्त्री के हाथ मे हमेशा कलम रहती थीं, उनके अनेक संस्करण प्रकाशित हुए हैं। मुनि ने कहा कि धर्म के विविध पक्षों को लेकर उन्होंने अनु शीलनात्मक साहित्य की रचना भी की हैं। प्रवचन में लोक जीवन की उदात्तता, जीने की कला और मानवता की महक हैं तो आत्मा का श्रृंगार,तत्व की उपादेयता और जन्म मरण को समझने का दिशा बोध भी हैं।
रितेश मुनि ने स्मृति दिवस पर गणेश मुनि की जीवन की विशेषताओं पर श्रावको का ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि गणेश मुनि शास्त्री उदारमना थें सरल स्वभाव एवं प्रेम बरसाने वाला व्यक्तित्व थे। मुनि ने कहा कि समय समय पर उनका उदयपुर सेक्टर 11 में संतो के दर्शन के लिए आनाजाना होता ही था।उनका मुझ पर विशेष स्नेह था। उनके प्रवचनों में सरलता का मधुर संगम था। भावो और भाषा मे सम्प्रेषण ईष्र्या थी। गणेश मुनि जो भी बात कहते वह बहुत ही रोचक और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते थे। मुनि ने कहा कि महाश्रमण उनके शिष्य रत्न है और गणेश मुनि ने कठिन परिश्रम कर इनका दिव्य जीवन बनाया है जो आज जैन समाज को दिशा निर्देश कर युवाओं को तराशने का काम कर रहे हैं।
प्रभात मुनि ने कहा कि गणेश मुनि शास्त्री के अनुभवों से संवरा जीवन हम सभी को मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। मुनि ने कहा कि शास्त्री श्रोताओं के हृदय को झकझोर कर रख देते थे। गणेश मुनि ने वाणी की शक्ति को जगाया।प्रवचन शक्ति द्वारा वे जनता को अध्यात्म और नैतिकता का प्रकाश दे रहे हैं।
प्रवीण मुनि ने कहा मानव का भव पाया हैं, मनुष्य होने के नाते हमे अपनी स्वयं की पहचान होनी चाहिए।आत्मा की पहचान ही स्वयं की पहचान है।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।