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धर्म के नियमो में स्वास्थ्य सुरक्षा निहित हैं – जिनेन्द्र मुनि

सायरा (Udaipur) – क्षेत्र के उमरणा स्थित महावीर गौशाला में चल रहे जैन चातुर्मास में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में आयोजित धर्मसभा मे जिनेन्द्र मुनि ने कहा कि आहार जीवन का आधार हैं। यह एक चाक धुरी हैं जिस पर जीवन घूमता हैं, जीवन का पूरा चक्र आहार से संचालित हैं। धर्म के सारे नियम स्वास्थ्य रक्षा की कुंजी हैं। अव्यवस्था अधर्म की देन हैं। जब तक जीवन मे ओज विद्यमान है तब तक व्यक्ति जीवित रहता हैं। ज्यो-ज्यो व्यक्ति भौतिक विकास करता गया त्यों-त्यों वह अपनी परम्परा संस्कृति से विमुख होता गया। आहार से सन्दर्भीत भारतीय संस्कृति चौका की संस्कृति थीं। आज चौंका को लोग भूल गए हैं, चौंका उनके लिए एक दक़ियानूसी रूढ़िवादी बनकर रह गया हैं। मुनि ने कहा रात्रि भोजन अनेक बीमारियों की जड़ हैं तथा आहार के लिए प्रदूषण रहित शुद्ध वातावरण का होना बहुत जरूरी हैं। सूर्य के ताप को श्रेष्ठ आहार की व्याख्या करते हुए कहा कि यह हमारे पोषण का केंद्र हैं। प्रत्येक क्षेत्र का वायु मण्डल हमारे जीवन की हर क्रिया को प्रभावित करता हैं तो आहार को क्यो नही प्रभावित करेगा। बहुत कम लोग ऐसे है जो शुद्धि का ध्यान रखते हैं। बाजार में नालियों के पास जहां गंदगियां बहती रहती हैं मच्छर भिनभिनाते रहते हैं। नाले की दुर्गंध उड़ती रहती हैं। वातावरण और पर्यावरण की दृष्टि से कितने प्रदूषित हैं।मुनि ने कहा कि ऐसे स्थल पर जो कुछ खाया पिया जाएगा स्वास्थ्य के प्रतिकुल होगा, जैन धर्म वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित हैं। वह मानव को प्रामाणिक जीवन जीने की बात कहता हैं।इसलिए जैन धर्म मे रात्रि भोजन का निषेध किया गया हैं। जो कुछ भी खाते है उसका पाचन तैजस शरीर के द्वारा होता हैं।तैजस शरीर सूर्य की ऊष्मा से सक्रिय रहता है। जैन धर्म मे प्रत्या ख्याल के द्वारा और अन्य धर्मो में व्रत प्रतिज्ञा आदि के द्वारा स्वास्थ्य हित में अनेक विधियों की स्थापना की हैं, उन्हें जीवन मे स्थान देना चाहिएं।

प्रवीण मुनि ने कहा आज के समय मे मानवता की जगह दानवता पनप रही है । कही राष्ट्रानधता, धर्मांधता आदि मूढ़ताएं सिर उठा रही है।

रितेश मुनि ने कहा कि आदर्शो का कथन चिंतन और श्रवण काफी अच्छा लगता है,पर याद रखिये केवल कथन चिंतन और श्रवण ही पर्याप्त नही है।पहले स्वयं को आदर्श बनाओ,तब विश्व को आदर्श बना सकोगे।

प्रभात मुनि ने कहा कि कभी कभी अपने स्वार्थों की सृष्टि रचने के लिए दूसरों की जिंदगी तक को कुचल डालता है।क्या यह उसकी मानवता हैं।

 

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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