Breaking News

Home » देश » सुप्रीम व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों ने ब्यावर में किया सूचना का अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास

सुप्रीम व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों ने ब्यावर में किया सूचना का अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास

ब्यावर – रविवार को ब्यावर के नरबद खेड़ा में सूचना के अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास किया गया। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी लोकुर, उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस. मुरलीधर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने शिलान्यास किया, जस्टिस गोविंद माथुर ऑनलाइन जुड़े। इस दौरान ब्यावर की जनता, जिला प्रशासन एवं मजदूर किसान शक्ति संगठन व लोकतंत्र शाला से जुड़े हजारों लोग मौजूद रहे।

उल्लेखनीय है कि मजदूर किसान शक्ति संगठन एवं लोकतंत्र शाला द्वारा ब्यावर में दो दिवसीय जश्ने संविधान तथा लोकतंत्र एवं आरटीआई महोत्सव मनाया गया। महोत्स के दूसरे दिन नरबद खेड़ा में सूचना का अधिकार संग्रहालय का शिलान्यास किया गया। यहां लोकतंत्र शाला से जुड़े लाल सिंह ने संविधान की प्रस्तावना की व उपस्थित जन समूह को शपथ दिलाई और संविधान बचाने का आह्वान किया। संविधान की शपथ के बाद राधा रमन हेला ख्याल पार्टी द्वारा हेला गायन किया गया, जिसमें सूचना के अधिकार आंदोलन और ब्यावर के इतिहास को हेला के माध्यम से दोहराया गया।

इस मौके पर उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश मदन लोकुर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सभी पीढ़ियों को मिलकर संविधान को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर संविधान को सुरक्षित रखें।

उड़ीसा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर ने कहा कि समता एक प्रमुख संवैधानिक मूल्य है, जिसे ना केवल सार्वजनिक जीवन में बल्कि निजी जिंदगी में भी अपनाना होगा। तभी हम देश को आगे ले जा पाएंगे। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे समाज में गैर बराबरी है, हमें हर हालत में इस खत्म करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील एवं जनहित याचिकाओं के माध्यम से जनहित के विभिन्न मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में लड़ने वाले वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है लेकिन आज नौकरशाही एवं चुने हुए प्रतिनिधि अपने आपको मालिक समझ बैठे है। उन्होंने कहा कि आज विरोध प्रदर्शन के लिए रास्ते बंद किए जा रहे हैं, जगह नहीं दी जा रही है, धारा 144 लगाई जा रही है। प्रयास किए जाते हैं कि लोगों की आवाज को दबाया जा सके लेकिन हमें जमीन पर और कोर्ट में लड़कर अपने अधिकारों को हासिल करना होगा।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं सूचना के अधिकार आंदोलन की प्रणेता अरुणा रॉय ने कहा कि आरटीआई संग्रहालय बनाए जाने से स्थानीय स्तर पर लोगों के द्वारा किए गए संघर्ष को पूरे देश और दुनिया में जाना और समझा जा सकेगा। उन्होंने कहा कि हमें शुरुआत में घाघरा पलटन कहा गया और यह कहा गया कि यह घाघरा पलटन कभी भी लड़कर सूचना का अधिकार नहीं ले सकती है लेकिन इस घाघरा पलटन ने सूचना के अधिकार आंदोलन को लेकर जीत हासिल की।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांतो सेन ने कहा कि आज सम्मेलन में आए लोगों को देखने से ही मुझे तो ऊर्जा मिल रही है। आरटीआई आंदोलन में किस प्रकार की ऊर्जा रही होगी आज उसकी कल्पना की जा सकती है।

ब्यावर के उपखंड अधिकारी गौरव बढ़ाने ने कहा कि लोगों को 30 दिन में सूचना मिले और ना केवल सूचना उनकी समस्याओं का भी समाधान हो हमारा ये प्रयास रहेगा। निरंतर अखबार के संपादक रामप्रसाद कुमावत ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

‘जानने का हक’ किताब का हुआ लोकार्पण

अजमेर के रहने वाले विकास यादव द्वारा सूचना के अधिकार आंदोलन के इतिहास को लेकर एक ग्राफिक किताब हिंदी में बनाई है, जिसका नाम है ‘जानने का हक’। इस किताब का लोकार्पण जस्टिस मदन बी. लोकुर, जस्टिस मुरलीधर, अरुणा रॉय, निखिल डे, राम प्रसाद कुमावत, प्रशांत भूषण व प्रशांत सेन ने किया।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर ट्रिब्यूनल में रखे गए मामले

सामाजिक सुरक्षा पेंशन जिसमें वृद्धावस्था व दिव्यांग सहित अन्य पेंशन शामिल है, को लेकर एक ट्रिब्यूनल ने सुनवाई की, जिसमें जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस मुरलीधर, एडवोकेट प्रशांत भूषण, देवव्रत आदि थे। इन्होंने ब्यावर एवं जवाजा से आए 4 मामलों को सुना।

ब्यावर घोषणा के तहत प्रस्ताव हुए पास
सम्मेलन के आखिर में ब्यावर घोषणा के तहत कई प्रस्ताव पास हुए जिसके आधार पर सम्मेलन से निकले प्रस्तावों को आगे ले जाया जाएगा।

dailyrajasthan
Author: dailyrajasthan

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Realted News

Latest News

राशिफल

Live Cricket

[democracy id="1"]