ब्यावर – शनिवार को ब्यावर में विनोदनगर स्थित जवाहर भवन में ‘जश्न-ए-संविधान’, लोकतंत्र एवं आरटीआई महोत्सव का आग़ाज़ किया गया। मज़दूर किसान शक्ति संगठन एवं लोकतंत्र शाला द्वारा आयोजित दो-दिवसीय जश्न व महोत्सव की शुरूआत सर्वधर्म प्रार्थना से की गई।
इस अवसर पर रामस्नेही संप्रदाय के संत गोपालराम महाराज, संत केवलराम महाराज, जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद इरफान अशरफ, सेंट पॉल स्कूल के प्रिंसिपल फादर जी. फ्रांसिस तथा गुरूद्वारा के ग्रंथी सरदार हरदेव सिंह सिख शामिल हुए। सभी धर्म-गुरुओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कोई भी धर्म नफ़रत करना नहीं सिखाता है। मौलाना इरफान अशरफ ने कहा कि हम सबसे पहले इंसान हैं और उसके बाद हम भारतीय हैं। हमें धर्म से ऊपर अपने राष्ट्र को रखना होगा।
फादर फ्रांसिस ने कहा कि सर्व-धर्म समभाव का यह अनूठा संगम हुआ जिसमें बहुत ही अच्छी बातें सभी के द्वारा कही गई हैं। उन्होंने कार्यक्रम की सफलता की कामना की। सरदार हरदेव ने भी प्रार्थना की।
संत गोपालराम ने कहा कि हम अपने धर्म से ऊपर राष्ट्र को रखें तथा सब मिलकर रहेंगे तो हमारी सुख समृद्धि बढ़ेगी। सत्र की समाप्ति पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यरत अरुणा रॉय ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ब्यावर की धरती से शुरू हुआ सूचना के अधिकार का आंदोलन पूरे देश में फैला और इसे कानूनी जामा पहनाया गया। आज एक वर्ष में लगभग 80 लाख लोग आरटीआई का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत गरीब लोग होते हैं। उन्होंने कहा कि आरटीआई ने पारदर्शिता एवं जवाबदेही के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने ब्यावर क्षेत्र के स्थानीय लोगों द्वारा आंदोलन में दिए गए योगदान को याद करते हुए कहा कि देश में शांति और सद्भाव रहना चाहिए।
महोत्सव के इस पहले पहले सत्र में देश में विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव के लिए काम करने वाले लोगों ने भाग लिया। इस दौरान अनिल वर्मा, अशोक शर्मा, सतीश कुमार, लाल सिंह, रामप्रसाद कुमावत, भाषा सिंह सहित कई लोगों ने सत्र को संबोधित किया गया।
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने संबोधित करते हुए कहा कि आरटीआई के लिए ब्यावर में 40 दिन तक धरना चला, जिसमें कई लोगों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहा कि आज का यह पहला सत्र हम पारदर्शिता से जवाबदेही की ओर कर रहे हैं, सूचना के अधिकार से पारदर्शिता तो आई है लेकिन कैसे हम सरकार और व्यवस्था से जवाब हासिल करें उस पर भी बात होनी चाहिए।
इंक्लूजिविटी प्रोजेक्ट से जुड़े पॉल दिवाकर ने कहा कि समाज में आज भी ऊंच-नींच और भेदभाव है, जिसे हमें समाप्त करना होगा। उन्होंने कहा कि आजादी के इतने साल बीत जाने के बाद भी सामाजिक बराबरी नहीं आई है, इसलिए उन्होंने कहा कि सरकारों की और नागरिक समाज की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह सामाजिक गैर बराबर खत्म करने के प्रयास करें।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स से जुड़े मेजर जनरल अनिल वर्मा ने कहा कि देश में चुनाव सुधार और चुनावी प्रक्रिया पर जनता का विश्वास जरूरी है।
समाचार पत्र निरंतर के संपादक रामप्रसाद कुमावत ने कहा कि आज जिस तरह की पड़ोसी देशों की स्थितियां हैं उन्हें देखते हुए सरकारों को जनता को विश्वास में लेना होगा क्योंकि संस्थाओं और सत्ता का बेतहाशा दुरुपयोग जनता में अविश्वास पैदा करता है।
पहले दिन कई कार्यशालाओं का आयोजन भी किया गया। आरटीआई, डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन कानून, सूचना आयोग, आरटीआई की धारा 4, सामाजिक अंकेक्षण, मीडिया के विभिन्न रूप और लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियाँ, भूमि, शामलात और वन अधिकार कानून, दबाव-मुक्त और निष्पक्ष चुनाव: चुनावी प्रणाली में सुधार और कानूनी हस्तक्षेप, बेरोज़गारी संकट, श्रम अधिकार और नरेगा, राशन, पेंशन में डिजिटल एक्सक्लूज़न, नागरिक स्वतंत्रताएँ (मानव अधिकार), आरटीआई कार्यकर्ताओं और शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा, वंचित एवं हाशिए पर धकेले गए लोग और भेदभाव (जाति, वर्ग, धर्म, लिंग, आदि), संस्कृति और लोकतंत्र, आर्थिक असमानता जैसे विषयों पर कार्यशालाएं आयोजित की गई।
आरटीआई मंच के मुकेश गोस्वामी ने बताया कि कार्यशालाओं में विभिन्न प्रस्ताव दिए गए जिन्हें रविवार को होने वाले ब्यावर डिक्लेरेशन में शामिल किया जाएगा।
प्रभाष जोशी, निखिल चक्रवर्ती, अजीत भट्टाचार्य एवं कुलदीप नैयर की स्मृति में हुआ व्याख्यान
जनसत्ता के संपादक रहे प्रभाष जोशी, निखिल चक्रवर्ती, अजीत भट्टाचार्य एवं कुलदीप नैयर की याद में व्याख्यान आयोजित किया गया। जनसत्ता के पूर्व संपादक एवं हरदेव जोशी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति ओम थानवी ने आज के समय में पत्रकारित एवं मीडिया की भूमिका पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मीडिया का पूरा स्वरूप ही बदल गया है।
