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14 वर्षीय अभय जैन की अठाई तप की आराधना का जैन समाज ने किया अभिनंदन

सायरा (Sayra)/ क्षेत्र के महावीर गौशाला उमरणा में श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ द्वारा स्थानक अभिनन्दन समारोह अयोजित किया गया। जिसमे जैन संत जिनेन्द्र मुनि , प्रवीण मुनि , रितेश मुनि और प्रभात मुनि के सानिध्य में तपस्वियों का अभिनंदन किया गया। नान्देशमा निवासी 14 वर्षीय अभय जैन ने छोटी उम्र में अठाई तप की आराधना कर मन की एकाग्रता का परिचय दिया हैं। तप अभिनंदन समारोह में जैन धर्म से जुड़े हुए श्रावक श्राविकाओं ने अभय जैन को धन्यवाद प्रेषित किया गया।समाज मे बढ़ रही तप आराधना की रुचि से हर एक हतप्रभ हैं।कार्यक्रम का आरंभ जिनेन्द्र मुनि के नेतृत्व में संतो के मंगल चरण से हुआ। इस अवसर में अनेक श्राविकाओं ने मंगल गान गाये।तत्पश्चात अठाई तप करने वाले छोटी उम्र के अभय जैन का संघ के पदाधिकारियों ने स्वागत किया। महिला मंडल की बहनों ने अभय का सम्मान किया। जिनेन्द्र मुनि ने मंगल चरण के अवसर पर कहा कि तपस्या आत्म शोधन की एक महत्वपूर्ण प्रकिया हैं।तप की अग्नि में जलकर आत्मा निर्मल और उज्ववल बनती है।

मुनि ने कहा तप के तीन रूप अहिंसा संयम तप है अहिंसा हमारी आत्मा है।संयम है स्वयं को संयोजित करना और तप हमारी इंद्रियों को पूर्ण नियंत्रण करना। तप करने से कर्म बन्धन टूटकर निर्जरा होती है।मुनि ने कहा तप करने से स्वास्थ्य भी ठीक रहता है। प्रवीण मुनि ने कहा कि तप हर कोई नही कर सकता है। यह कठिन साधना है। तप में मनोवृत्ति पर पूर्ण अंकुश रखने वाला तप आराधना में सफल होता है। मन की एकाग्रता ही तप की मुख्य धुरी है।तप आराधना से मन की शुद्धि,तन की पवित्रता और चित शांत रहता हैं। बीमारियों से स्वयं बचता रहता हैं। रितेश मुनि ने किशोर अवस्था के जैन अभय को साधुवाद देते हुए कहा कि मन की धैर्यता और धर्म के प्रति सच्ची लगन के कारण अठाई तप की आराधना की है। मुनि ने कहा कि किसी भी प्रवृति को करने से पूर्व दूरगामी स्वस्थ सोच के साथ उस प्रवृति से होने वाले शुभाशुभ परिणामों पर बहुत अच्छी तरह से पहले अपने मन मे चिंतन कर लो। प्रभात मुनि ने अठाई तप आराधक की साधुवाद देते हुए कहा कि पिछले कई भवों के संचित कर्म तप आराधना से नष्ट किये जा सकते है। तप आराधना आत्मशक्ति आत्मशुद्धि के लिए की जाती है।तपस्या करने के लिए संकल्प बल,मनोबल धृति बल और आत्म बल की अपेक्षा होती है। मुनि ने कहा तप उपासना तप ज्योति ओर तप ओषधि है।तप मोक्ष मन्दिर का सोपान है।तप में वर्णित सभी गुण अभय जैन में विद्यमान है, इसलिए इस उम्र में अठाई तप की आराधना की है।समाज के पदाधिकारियों ने चांदी के सिक्के भेंट कर प्रभावना वितरित की गई।इस अवसर में महावीर गौशाला के अध्यक्ष हीरालाल मादरेचा, अशोक मादरेचा, कन्हैयालाल तलेसरा, मीठा लाल सोलंकी , दिलीप सेठ नाना लाल सुथार, शांति लाल टेलर, मिठालाल टेलर सहित आगंतुक समारोह में उपस्थित रहे।महिलाओ ने भी तपस्वियों का बहुमान किया।आगे तपस्या करने का भाव रखने वाले बहुत श्रावक मौजूद रहे।

 

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

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