Breaking News

Home » अपराध Crime » जंगल का रास्ता बंद करने से पशुओं के चरने की समस्या, एक बैल की फंसने से मौत

जंगल का रास्ता बंद करने से पशुओं के चरने की समस्या, एक बैल की फंसने से मौत

गोगुंदा (Gogunda / Udaipur) क्षेत्र के अंबावा निवासी भूताराम का एक सप्ताह से लापता बैल गुरुवार काे गोगुंदा वन विभाग की ओर से बनाए गए क्लाेजर में मृत मिला। भूताराम ने वनकर्मियों पर बैल को दौड़ाकर मारने का आरोप लगाया। उसने बताया कि करीब एक सप्ताह पूर्व उसका बैल अन्य पशुओं के साथ चरने के लिए जंगल की ओर गया था, जो वन विभाग की ओर से बनाई गई कच्ची दीवार को लांघ कर जंगल में चला गया। उसने बताया कि विगत एक सप्ताह से क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है। इसके बावजूद बैल काे जंगल में ढूंढ रहा था।

सामाजिक कार्यकर्ता नेगाराम गरासिया ने बताया कि जनवरी माह में ओगणा रेंज के पड़ावली नाका के वन कार्मिकों ने प्लांटेशन के लिए यहां कच्ची दीवार बनाने का काम शुरू किया था। तब वन भूमि पर काबिज लोगों ने उसका विरोध करते हुए जंगल में जाने वाली पगडंडी को बंद न करने की मांग की थी, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई और जमीन काे भी क्लाेजर में शामिल कर चारदीवारी बनाकर रास्ते को बंद कर दिया। इसके बाद रास्ते को खुलवाने के लिए विभाग के रेंजर व उपवन संरक्षक को ज्ञापन भी दिए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। नेगाराम ने कहा कि यहां वन अधिकार मान्यता अधिनियम की पालना नहीं की जा रही है। वन व वन संपदा पर पहला अधिकार लोगों का है, लेकिन यहां लोगों को अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर रास्ता नहीं खोला गया और पीड़ित पशुपालक को मुआवजा नहीं दिया गया तो संघर्ष टीम अंबावा की ओर से प्रदर्शन किया जाएगा। हराराम गरासिया ने कहा कि जंगल के रास्ते को बंद कर दिया गया है, ऐसे में पशुओं को चराने की समस्या खड़ी हो गई है। उसने बताया कि विभाग ने बरसों से वन भूमि पर काबिज लोगों को हटाकर उस जमीन पर क्लोजर बना दिया।

यहां के लोग कानून को लेकर जागरूक नहीं है, इसलिए सरकार को अभियान चलाकर वन अधिकार मान्यता कानून के अंतर्गत लोगों को सामुदायिक अधिकार देने चाहिए। गांव के पशुओं के चरने के लिए चारागाह भूमि होनी चाहिए, अगर नहीं है तो वन भूमि में यह अधिकार दिए जाए। – सरफराज शेख, सामाजिक कार्यकर्ता, गोगुंदा 

क्लोजर को विकसित करने के लिए चारदीवारी तो करनी ही पड़ती है। जब कोई मवेशी क्लोजर में घुस जाते हैं तो हमारे कार्मिक ग्वाले की तरह मवेशी को बाहर निकालते हैं। दौड़ा-दौड़ाकर बैल को मारने के आरोप की मैं जांच करवाता हूं – महेंद्र सिंह, क्षेत्रीय वन अधिकारी, ओगणा रेंज

Pavan Meghwal
Author: Pavan Meghwal

पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram

Realted News

Latest News

राशिफल

Live Cricket

[democracy id="1"]