सायरा (sayra)/ क्षेत्र के महावीर गोशाला उमरणा में जैन समाज का गुरु पूर्णिमा से चातुर्मास प्रारंभ हुआ। वहीं सोमवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वाधान में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए जिनेन्द्र मुनि मसा ने कहा कि सहनशीलता सद्गुणों की जननी हैं और सहनशीलता , सत्य का जीता जागता उदाहरण हैं । सहनशीलता से व्यक्ति अपने कर्तव्य पर अडिग रहता हैं। सहनशीलता से जीवन मे दुःख की पीड़ा नही झेलनी पड़ती हैं।आज के समय मे हम देख रहे हैं कि क्रोधित व्यक्ति परिवार समाज मे कैसा अनर्थ कर बैठता हैं सहनशीलता एक गुण है। जिससे अपने जीवन में विकास होता हैं। सहनशील व्यक्ति समाज और परिवार में सम्मान पाता हैं।आज के दौर में तनाव हावी हैं ।इससे हम थोड़े से तनाव से घबरा जाते है।जिसके जीवन में लड़ाई झगड़े मारपीट और गाली गलौज तक नही निकलता है,वह सहनशील व्यक्ति है।उनके जीवन में कभी अपयश नही आता है।संत ने कहा जीवन मे सहनशीलता का कितना बड़ा महत्व है।अहंकार और क्रोध के कारण मनुष्य मनुष्य नही रहकर हैवानियत पर आ जाता है।मुनि ने कहा कि समाज मे हम देख रहे है कि सहनशीलता के अभाव में व्यक्ति व्यक्ति के खून का प्यासा बन जाता है। जिनेन्द्र मुनि ने कहा कि हम स्वयं सहनशील बने,जिससे हमारे जीवन मे कष्ट और कलेश का कोई स्थान नही रहे। रितेश मुनि मसा ने कहा कि हिंसा नही करनी चाहिए।मन मे उठने वाले भाव भी भाव हिंसा की श्रेणी में आता है।अहिंसा का अर्थ हिंसा नही करना है।अनंत ज्ञानियों के हृदय कोष में सभी जीवो के सुख एवं कल्याण के लिए अहिंसा की अमृतयी दृष्टि हुई है। इस दौरान स्थानक भवन में ओगणा चितौड़गढ़ फलासिया आदि के श्रावकों ने सन्तो का दर्शन लाभ लिया और प्रवचन का लाभ उठाया।
Author: Pavan Meghwal
पवन मेघवाल उदयपुर जिले के है। इन्होंने मैकेनिकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई के बाद स्टार्टअप शुरू किए। ये लिखने-पढ़ने के शौकीन है और युवा पत्रकार है। मेवाड़ क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे है।