चौथी सूची में आया डॉ. मांगी लाल गरासिया का नाम, गोगुंदा सीट पर लडेंगे चुनाव
गोगुंदा/उदयपुर – आखिरकार मंगलवार का दिन डॉ. मांगी लाल गरासिया के लिए मंगल हो गया। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति ने अपनी चौथी सूची में डॉ. मांगी लाल गरासिया के नाम पर मुहर लगा दी। डॉ. मांगी लाल गरासिया के नाम पर मुहर लगने के बाद कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखने को मिला। गोगुंदा में रामेश्वर चौधरी के नेतृत्व में यूथ कांग्रेस के युवाओं ने जमकर नारेबाजी व आतिशबाजी की। इस दौरान ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष राम सिंह चदाणा, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष हरि सिंह झाला, विजयबावड़ी के पूर्व सरपंच चौन सिंह चदाणा, जिला महामंत्री प्रहलाद सिंह झाला, राम लाल चौधरी, गोपी लाल पालीवाल, जसपाल सिंह व रमेश वैष्णव सहित कई कार्यकर्ता व प्रत्याशी डॉ. मांगी लाल गरासिया मौजूद रहे।
इसके बाद पूर्व मंत्री डॉ. मांगी लाल गरासिया ने अपने पैतृक गांव सरिया फलां पहुंचकर मंदिर में पूजन अर्चन किया। आपको बता दे कि डॉ. गरासिया हनुमान जी अनन्य भक्त है और इन्होंने अपने घर के परिसर में ही हनुमान मंदिर बनवा रखा है, वहां वो नियमित पूजा अर्चना करते है। हनुमान मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वो सायरा क्षेत्र में कई मंदिरों में धोक देने पहुंचे। इसके बाद देवला व मालवा का चौरा में उत्साहित कार्यकर्याओं से जाकर मिले।
इधर कांग्रेस के पलासमा मंडल अध्यक्ष किशन सिंह निकोर, ईसवाल मंडल अध्यक्ष नागेंद्र सिंह झाला, दिनेश डांगी सहित कई युवा गोगुंदा चौगान में पहुंचे और जमकर आतिशबाजी करते हुए डॉ. गरासिया को टिकट मिलने की खुशी व्यक्त की।
आमतौर पर अपने चहेते प्रत्याशी को टिकट मिलने पर हर किसी पार्टी के कार्यकर्ताओं को खुशी होती है और कार्यकर्ता खुश होकर आतिशबाजी करने, रैली निकालने, ढ़ोल नगाड़ों के साथ प्रत्याशी का स्वागत करने जैसे कृत्य करते है लेकिन इस बार डॉ. गरासिया को चाहने वाले कार्यकर्ता कुछ ज्यादा ही उत्साहित है। वे इसलिए उत्साहित है कि इस बार कांग्रेस ने टिकट कार्यकर्ताओं को दिया है। इस बात को समझने के लिए थोड़ा पीछे चलना पड़ेगा। कांग्रेस प्रत्याशियों की सूचियां जारी कर रही थी। 3 सूचियां जारी कर चुकी थी। कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि डॉ. मांगी लाल गरासिया का नाम दूसरी सूची में आ जाएगा लेकिन नहीं आया। उसके बाद तीसरी सूची में भी डॉ. मांगी लाल गरासिया का नाम नहीं आया था तो कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए, अपने नेताओं को कॉल करने लगे, उन्हें कोसने लगे। टिकट लाने के लिए सभी जयपुर कूच करने की तैयारी में थे, तभी 28 अक्टूबर को अचानक दिल्ली से चुनाव प्रभारी अविनाश झा का गोगुंदा आने का कार्यक्रम बन गया। कार्यकर्ताओं के जयपुर कूच की भनक पड़ गई थी इसलिए अचानक पार्टी ने झा को गोगुंदा भेजा या झा खुद अपनी निर्धारित प्लानिंग के तहत आए थे, ये कहना थोड़ा मुश्किल है लेकिन वे आए। कांग्रेस के लोगों ने जयपुर जाना पोस्टपोन करके चुनाव प्रभारी की बैठक में जाना उचित समझा। वहां प्रभारी अपनी बात कहते उससे पहले कांग्रेस पार्टी के आक्रोशित पदाधिकारी व कार्यकर्ता डॉ. गरासिया को टिकट देने में देरी करने को गलत बताते हुए इस्तीफे प्रस्तुत करने लगे। उन्होंने साफ-साफ कहा कि या तो डॉ. गरासिया को टिकट दिया जाए या उनके इस्तीफे स्वीकार किए जाए। सभी ने पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के नाम इस्तीफे भी पेश कर दिए।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस की इस बैठक की पुख्ता रिपोर्ट सीईसी सदस्यों तक पहुंच गई। प्रदेश की एक और टीम ने भी गोगुंदा विधानसभा क्षेत्र के लोगों से फीडबैक लेकर एक रिपोर्ट तैयार की। इन दोनों रिपोर्ट के आधार पर मधुसूदन मिस्त्री व अन्य सदस्यों ने डॉ. गरासिया को टिकट देने की पैरवी की और अंततः इन्हें टिकट दिया गया। तो जीत किसकी हुई ? कार्यकर्ताओं की ही हुई। इसलिए मैं यह कह रहा हूं कि कांग्रेस ने यह टिकट कांग्रेस कार्यकर्ताओं को दिया है।
फिर पीसीसी महासचिव लाल सिंह झाला ने डॉ. गरासिया को चुनाव जीताने की गारंटी ली है, जब चुनाव जीताने की गारंटी ले ली तो फिर पार्टी भला टिकट क्यों नहीं देगी ? पार्टी ने लाल सिंह झाला जैसे दमदार व झूझांरू कार्यकर्ता की गारंटी पर टिकट दिया है।
अब कार्यकर्ता उत्साहित है, उनके कंधों पर डॉ. गरासिया को चुनाव जीताने का भार भी है। अब देखना यह होगा कि 3 दिसम्बर को यह उत्साह किस हद तक बना रहेगा ? क्या 3 दिसम्बर को भी गोगुंदा के चौगान में इसी तरह पटाखे फोड़े जायेंगे ? क्या ये कार्यकर्ता डॉ. गरासिया को विधानसभा में भेज पायेंगे ? इन सवालों के जवाब मिलेंगे 3 दिसम्बर को, तब तक बने पढ़ते रहिए डेली राजस्थान।
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