उदय सिंह यादव/शाहाबाद (बारां) – जिंदगी में कुछ पाना चाहते हो तो तरीके बदलो इरादे नहीं, अगर इरादों में दम हो तो मेहनत कभी धोखा नहीं देती और जिद हो कुछ पाने की तो हर सपना हकीकत में बदल सकता है। यह लाइनें आशु मेहता की मेहनत व इसके इरादे पर सटीक बैठती हैं।
आशु मेहता ने एक-दो बार नहीं, तीन बार नीट एग्जाम दिया। आखिरकार सफलता पाई और अब वह गांव का पहला डॉक्टर बनने बाला है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के दूरस्थ गांव रामपुर उपरेटी में पहली बार एक किसान के बेटे ने नीट परीक्षा उत्तीर्ण की है, जिसकी चर्चा क्षेत्र में हर कोई कर रहा है। बारां जिले के शाहाबाद उपखंड क्षेत्र के रामपुर निवासी बीएडधारी किसान राजेश मेहता की नौकरी नहीं लगी, उसके अरमानों को अब बेटा आशु मेहता डॉक्टर बन पूरा करेगा। क्षेत्र में पहली बार किसान के बेटे ने नीट उत्तीर्ण कर सफलता हासिल की है। उसके तीन साल की मेहनत रंग लाई। जब नीट में चयन होने की जानकारी मिली तो परिवार व गांव ही नहीं बल्कि क्षेत्र के लोगों में भी खुशी देखने को मिली।
आशु ने बताया कि पिता राजेश मेहता ने बीएड की थी, नौकरी नहीं मिलने से निराश पिता खेती करने लगे, मां पढ़ी लिखी नहीं हैं और घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है फिर भी वो डॉक्टर बनना चाहता था। इसके लिए पूरी लगन से मेहनत की, जब भी टेस्ट में कम नंबर आते तो भविष्य को लेकर चिंता होती थी। कई बार मन घबराता था लेकिन अक्सर निराशा के समय वो दो से तीन घंटे सो जाता था। उसके बाद दोस्तों के साथ बाहर निकलकर चाय पीता। सभी बच्चों को पढ़ते देखता तो फिर से पढ़ाई में जुट जाता। उसने 10वीं कक्षा में 91.6 प्रतिशत और 12वीं में 92 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए। 12वीं के साथ नीट की तैयारी की तो 370 ही नंबर आए, थोड़ा झटका लगा लेकिन अगले साल ऑनलाइन कोचिंग की पर इतने नंबर नहीं आए की सरकारी कॉलेज मिल जाए। एक बार तो हिम्मत जबाव दे गई लेकिन उसके सामने अपना सपना था इसलिए फौरन हौंसला बटोरा और अपनी कमियों को समझने और भावी रणनीति बनाने में जुट गया और अंततः नीट की परीक्षा पास कर ली।