- ओम माथुर (अजमेर)
ऐसा लगता है राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भारतीय मीडिया में बने रहने का आइडिया आ गया है। जो मीडिया राहुल गांधी की देश में होने और बोलने पर कवरेज में उपेक्षा करता है, वही राहुल जब विदेश में जाकर बयानबाजी करते हैं तो पूरे दिन सभी न्यूज़ चैनल राहुल गांधी को कोसते हुए ना जाने कितनी डिबेट कर लेते हैं। आरोप लगाते हैं कि वह विदेशों में जाकर भारत की प्रतिष्ठा खराब कर रहे हैं। देशद्रोही हैं। मोदी की बढ़ी अंतरराष्ट्रीय धाक से जलते हैं। मोदी से दुश्मनी निकालने के चक्कर में देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं। हालांकि ऐसे कई बयान राहुल गांधी भारत में भी विभिन्न मंचों से देते रहे हैं लेकिन तब उन्हें कवरेज नहीं मिलता है। पहले लंदन और उसके बाद अमरीका में राहुल ने जो कुछ कहा, उस दिन न्यूज चैनलों पर छाया रहा। खबर और डिबेट्स में।
वैसे ही जैसे कल प्रियंका गांधी ने जबलपुर में जाकर नर्मदा नदी का पूजन कर कांग्रेस के मध्यप्रदेश में चुनाव अभियान का श्री गणेश किया। सभी चैनलों को तकलीफ हो गई कि आखिर प्रियंका गांधी ने भाजपा की पिच पर जाकर यानी हिंदुत्व की बात करके और नदी का पूजन कर कैसे चुनाव अभियान का श्री गणेश किया। दिन भर सभी चैनल इस मुद्दे पर पिले रहे। कोई कह रहा था कांग्रेस चुनावी हिंदू है। कोई चिल्ला रहा था, मुस्लिम वोटों के लिए तुष्टिकरण की राजनीति करने वाली कांग्रेस नेता चुनाव आते ही मंदिरों की तरफ जा रही है। किसी को तकलीफ थी कि जब हिंदुत्व की असली झंडाबरदार भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी है, तो लोग क्यों उसके क्लोन यानी कांग्रेस को वोट देंगे।
ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने यह रणनीति बना ली है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर प्रहार करते हुए इस बात का प्रचार (भाजपा की नजर में दुष्प्रचार) करते रहेंगे कि उन्होंने देश की सारी संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया को अपने कब्जे में कर लिया है और प्रियंका गांधी कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर लौटने के एजेंडे को सैट करती रहेगी। कर्नाटक में बजरंग बली के नाम से संजीवनी मिलने के बाद पार्टी को लगता है कि वह देश में उन हिंदू वोटर्स को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है, जो अब नरेंद्र मोदी के चेहरे के आकर्षण से उबर चुके हैं और हिंदू-मुस्लिम में बंटते हुए समाज को देख परेशान है। यूं खुद आरएसएस यह मान चुका है कि सिर्फ मोदी के चेहरे से अब भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती है। उसे अपने संगठन और राज्यों के नेताओं को भी तवज्जो देनी होगी। उधर, राहुल गांधी के बयान भले ही भाजपा को ऊटपटांग लगते हो, लेकिन इससे वह मोदी की इमेज पर लगातार प्रहार कर रहे हैं और जिस तरह राहुल के बयान के बाद भाजपा के कई नेता और मंत्री बयानबाजी करते हैं। उससे लगता है कि पार्टी को प्रधानमंत्री की छवि खराब होने की चिंता सता रही है। यूं भी मीडिया और सोशल मीडिया में राहुल की छवि पप्पू बना दी गई है। इससे ज्यादा उनकी छवि को बिगाड़ा नहीं जा सकता। इसलिए उन्हें और नुकसान नहीं होना है। फिर भाजपा ये भी मानती है कि राहुल, मोदी के मुकाबले कई भी नहीं टिकते हैं लेकिन भारत जोड़ो यात्रा और कर्नाटक में जीत के बाद राहुल और कांग्रेस के नेता और ज्यादा विश्वास में लग रहे हैं। ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव और नजदीक आएंगे बयानों के तीर और तीखे होते जाएंगे।